Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

Book Name:Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

किये जाने की ख़ुश ख़बरी है । मुसीबतों पर सब्र के इतने फ़ज़ाइल सुन कर, तो हमें ज़ेहन बनाना चाहिये कि चाहे कितनी ही मुसीबतें आ पड़ें, आज़माइशों के त़ूफ़ान हमें डराने की कोशिश करें, परेशानियों का सैलाब आ जाए और बीमारियां हर त़रफ़ से घेरा डाल दें, तब भी ह़र्फे़ शिकायत ज़बान पर हरगिज़ न आए बल्कि उन पर सब्र कर के इस के बदले में मिलने वाले सवाब के तसव्वुर में इस त़रह़ गुम हो जाएं कि तक्लीफ़ का एह़सास तक बाक़ी न रहे ।

          اَلْحَمْدُلِلّٰہ बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ  عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की सीरते त़य्यिबा से भी हमें येही मदनी फूल मिलता है कि जब इन पर कोई मुसीबत आ जाती, तो येह ह़ज़रात उस पर सब्र के बदले मिलने वाले सवाब के तसव्वुर में ऐसे गुम हो जाते हैं कि इन्हें तक्लीफ़ का एह़सास तक नहीं रहता और येह ह़ज़रात मुसीबतों के आने के बा वुजूद भी ख़ुश रहते हैं । आइये ! तरग़ीब के लिये 3 ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त मुलाह़ज़ा कीजिये । चुनान्चे,

1﴿...ज़ख़्मी होते ही हंस पड़ना

          ह़ज़रते सय्यिदुना फ़त्ह़ मौसिली رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की अहलियए मोह़्तरमा رَحْمَۃُ اللّٰہ  عَلَیْہا एक मरतबा ज़ोर से गिरीं जिस से नाख़ुन (Nail) टूट गया लेकिन दर्द से चिल्लाने और "हाए, ऊह" वग़ैरा करने के बजाए वोह हंसने लगीं ! किसी ने पूछा : क्या ज़ख़्म में दर्द नहीं हो रहा ? फ़रमाया : सब्र के बदले में हाथ आने वाले सवाब की ख़ुशी में मुझे चोट की तक्लीफ़ का ख़याल ही न आ सका । (کیمیائے سعادت،رکن چہارم،منجیات، ۲/۷۸۲)

2﴿...बेटे की मौत पर मुस्कुराहट

          सिलसिलए आ़लिय्या, चिश्तिय्या के अ़ज़ीम बुज़ुर्ग, ह़ज़रते सय्यिदुना फ़ुज़ैल बिन इ़याज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ को कभी किसी ने मुस्कुराते न देखा था लेकिन जिस दिन आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के शहज़ादे, ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ली बिन फ़ुज़ैल رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का इन्तिक़ाल हुवा, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ मुस्कुराने लगे । लोगों ने अ़र्ज़ की : येह ख़ुशी का कौन सा मौक़अ़ है जो आप मुस्कुरा रहे हैं ? फ़रमाया : मैं अल्लाह पाक की रिज़ा पर राज़ी हो कर मुस्कुरा रहा हूं क्यूंकि अल्लाह पाक की रिज़ा ही के सबब मेरा बेटा फ़ौत हुवा है, रब्बे करीम की पसन्द, अपनी पसन्द । (तज़किरतुल औलिया, 1 / 86-87, मुलख़्ख़सन)

3﴿...मैं ख़ुश होऊं या ग़मगीन

          ह़ज़रते मुत़र्रिफ़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का बेटा फ़ौत हो गया । लोगों ने उन्हें बड़ा ख़ुश देखा, तो कहा : क्या बात है कि आप ग़मगीन होने की बजाए ख़ुश नज़र आ रहे हैं ? फ़रमाया : जब मुझे इस सदमे (Shock) पर सब्र की वज्ह से अल्लाह पाक की त़रफ़ से दुरूद व रह़मत और हिदायत की ख़ुश ख़बरी है, तो मैं ख़ुश होऊं या ग़मगीन ? (مختصرمنہاج القاصدین، کتاب الصبر والشکر، فصل فی آداب الصبر، ص۳۲۲)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد