Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

Book Name:Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

6﴿...मुसीबत पर सब्र को आसान बनाने का एक त़रीक़ा येह भी है कि इस त़रह़ अपना ज़ेहन बनाया जाए कि येह मुसीबत आ़रज़ी (Temporary) और हल्की हो कर जल्द ख़त्म हो जाने वाली है मगर सब्र की सूरत में मिलने वाला अज्रो सवाब कभी ख़त्म न होगा, लिहाज़ा सब्र ही में भलाई है ।

7﴿...मुसीबत आने पर दिल को अल्लाह पाक से डराने, सब्र पर इस्तिक़ामत पाने और ग़लत़ क़दम उठाने से ख़ुद को बचाने के लिये तौबा व इस्तिग़फ़ार करते हुवे येह ज़ेहन बनाइये कि मुझ पर जो मुसीबत आई है, येह मेरे बुरे आ'माल का नतीजा है । जैसा कि पारह 25, सूरतुश्शूरा की आयत नम्बर 30 में रब्बे करीम इरशाद फ़रमाता है :

وَ مَاۤ اَصَابَكُمْ مِّنْ مُّصِیْبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ اَیْدِیْكُمْ وَ یَعْفُوْا عَنْ كَثِیْرٍؕ(۳۰)(پ۲۵،الشوریٰ:۳۰)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और तुम्हें जो मुसीबत पहुंची, वोह तुम्हारे हाथों के कमाए हुवे आ'माल की वज्ह से है और बहुत कुछ तो वोह मुआ़फ़ फ़रमा देता है ।

        बयान कर्दा आयते मुक़द्दसा के तह़्त सदरुल अफ़ाज़िल, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना सय्यिद मुफ़्ती मुह़म्मद नई़मुद्दीन मुरादाबादी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : येह ख़ित़ाब (उन) मोमिनीन, मुकल्लफ़ीन (या'नी आ़क़िल, बालिग़ मुसलमानों) से है जिन से गुनाह होते हैं, मुराद येह है कि दुन्या में जो तक्लीफे़ं और मुसीबतें मोमिनीन को पहुंचती हैं, अक्सर उन का सबब उन के गुनाह होते हैं, उन तक्लीफ़ों को अल्लाह पाक उन के गुनाहों का कफ़्फ़ारा कर देता है और कभी मोमिन की तक्लीफ़ उस के रफ़्ए़ दरजात (या'नी दरजात की बुलन्दी) के लिये होती है ।

8﴿...मुसीबत पर सब्र करने का ज़ेहन बनाने का एक त़रीक़ा येह भी है कि हम वक़्तन फ़-वक़्तन मक्तबतुल मदीना से जारी कर्दा अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और अल मदीनतुल इ़ल्मिय्या की कुतुबो रसाइल को अपने मुत़ालए़ में रखें या किसी के ज़रीए़ सुनती रहें क्यूंकि इन कुतुबो रसाइल में मुसीबत पर सब्र के तअ़ल्लुक़ से कई ह़दीसें, सबक़ आमोज़ ह़िकायात, अल्लाह वालों के इरशादात और नसीह़त आमोज़ वाक़िआ़त मौजूद हैं ।

        आइये ! तरग़ीब के लिये अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की किताब "फै़ज़ाने सुन्नत" जिल्द अव्वल के सफ़ह़ा नम्बर 386 से एक फ़िक्र अंगेज़ ह़िकायत सुनिये और उस से ह़ासिल होने वाले मदनी फूल चुन कर अपने दिल के मदनी गुलदस्ते में सजाने की कोशिश कीजिये । चुनान्चे,

अ़जीबो ग़रीब मरीज़

          ह़ज़रते सय्यिदुना यूनुस عَلَیْہِ السَّلَام ने ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام से फ़रमाया : मैं इस ज़मीन के सब से बड़े इ़बादत गुज़ार को देखना चाहता हूं । ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام, ह़ज़रते सय्यिदुना यूनुस

عَلَیْہِ السَّلَام को एक ऐसे शख़्स के पास ले गए जिस के हाथ, पांउ कोढ़ के मरज़ की वज्ह से गल कट कर जुदा हो चुके थे और वोह ज़बान से कह रहा था : ऐ अल्लाह पाक ! तू ने जब तक चाहा, इन आ'ज़ा से मुझे फ़ाइदा बख़्शा और जब चाहा ले लिया और मेरी उम्मीद (Hope)