Book Name:Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay
बिग़ैर शुक्र के मुकम्मल नहीं होती । (بیضاوی،۱/۴۴۹، پ۲،البقرہ ،تحت الایۃ:۱۷۲) ह़ज़रते सय्यिदुना अबू सुलैमान वासित़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक की ने'मतों को याद करने से दिल में उस की मह़ब्बत पैदा होती है । (تاریخ مدینہ ابن عساکر،۳۶ /۳۳۴، حدیث: ۴۱۳۳) ٭ ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर बिन अ़ब्दुल अ़ज़ीज़ رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक की ने'मतों को शुक्र के ज़रीए़ मह़फ़ूज़ कर लो । (حلیۃ الاولیا،۵/۳۷۴، حدیث: ۷۴۵۵) ٭ ह़ुज्जतुल इस्लाम, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : दिल का शुक्र येह है कि ने'मत के साथ भलाई और नेकी का इरादा किया जाए । ٭ ज़बान का शुक्र येह है कि उस ने'मत पर अल्लाह पाक की ह़म्दो सना की जाए । ٭ बाक़ी आ'ज़ा का शुक्र येह है कि अल्लाह करीम की ने'मतों को अल्लाह पाक की इ़बादत में ख़र्च किया जाए और उन ने'मतों को अल्लाह पाक की ना फ़रमानी में सर्फ़ होने से बचाया जाए । ٭ आंखों का शुक्र येह है कि किसी मुसलमान का ऐ़ब देखे, तो उस पर पर्दा डाले । (احیاء العلوم،کتاب الصبروالشکر،الرکن الاول ،بیان فضیلۃ الشکر، ۴/۱۰۳۔ ملخصاً)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد