Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

Book Name:Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

          سُبْحٰنَ اللہ ! आप ने सुना कि मुसीबतों में मुब्तला होने के बा'द अल्लाह वालों का मुसीबतों पर सब्र का अन्दाज़ भी कैसा निराला होता है, जो बड़ी से बड़ी मुसीबत आ जाने पर भी ग़मगीन व परेशान होने के बजाए रब्बे करीम की रिज़ा पर राज़ी और इन लम्ह़ात में भी ऐसे ही ख़ुश रहते हैं जैसे आ़म लोग ने'मतें मिलने पर ख़ुश होते हैं । बयान किये गए वाक़िआ़त में ख़ुसूसन उन इस्लामी बहनों के लिये नसीह़त के मदनी फूल मौजूद हैं जो येह शिक्वे करती हैं कि हम तो एक लम्बे अ़र्से से फ़ुलां परेशानी या बीमारी में मुब्तला हैं, इस से नजात के लिये गिड़गिड़ा कर दुआ़एं करती, करवाती हैं, अवरादो वज़ाइफ़ भी पढ़ती हैं, नमाज़, रोज़े की पाबन्दी भी करती हैं, सदक़ा व ख़ैरात भी करती हैं, भूकों को खाना भी खिलाती हैं, सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त में शिर्कत भी करती हैं मगर मुसीबतें हैं कि ख़त्म होने के बजाए मज़ीद बढ़ती ही चली जा रही हैं, बस अब बहुत सब्र कर लिया, अब मज़ीद सब्र की गुन्जाइश नहीं । यूंही बा'ज़ तो येह भी कहती सुनाई देती हैं कि "न जाने मुझ से ऐसी क्या ख़त़ा हुई है, मुझ से ऐसा कौन सा गुनाह हुवा है जिस की मुझ को सज़ा मिल रही है !"

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! हर हर लम्ह़ा गुनाह की कसरत और भरमार के बा वुजूद, अफ़्सोस है ! उन पर जो येह कह रही हैं कि "न जाने मुझ से ऐसी क्या ख़त़ा हुई है, मुझ से ऐसा कौन सा गुनाह हुवा है जिस की मुझ को सज़ा मिल रही है !" क्या नमाज़ें क़ज़ा करना कोई गुनाह नहीं ? क्या रमज़ानुल मुबारक के फ़र्ज़ रोज़े बिला उ़ज्रे़ शरई़ छोड़ देना कोई गुनाह नहीं ? क्या बिला उ़ज्रे़ शरई़ मुसलमानों का दिल दुखाना कोई गुनाह नहीं ? क्या जादू करवा कर किसी को तक्लीफ़ में डालना कोई गुनाह नहीं ? क्या ज़कात फ़र्ज़ होने के बा वुजूद अदा न करना कोई गुनाह नहीं ? क्या वालिदैन की ना फ़रमानी करना कोई गुनाह नहीं ? क्या सूद का लेन देन करना कोई गुनाह नहीं ? क्या यतीम का माल ज़ुल्मन खाना कोई गुनाह नहीं ? क्या झूट और धोके का सहारा ले कर किसी को नुक़्सान पहुंचाना कोई गुनाह नहीं ? क्या ज़कात के माल में धोके बाज़ी कर के अपनी आख़िरत को बरबाद करना कोई गुनाह नहीं ? क्या ख़ुदकुशी कर के अपनी जान को हमेशा के लिये हलाकत में डालना कोई गुनाह नहीं ? क्या औ़रतों का मर्दों की त़रह़ फै़शन इख़्तियार करना कोई गुनाह नहीं ? क्या पेशाब के छींटों से न बचना कोई गुनाह नहीं ? क्या दिखलावा कर के अपने नेक आ'माल को ज़ाएअ़ कर देना कोई गुनाह नहीं ? क्या दूसरों की छुपी हुई बातें सुनना कोई गुनाह नहीं ? क्या औ़रत का शौहर की ना फ़रमानी करना कोई गुनाह नहीं ? क्या अपने मह़रम रिश्तेदारों से बिला उ़ज्रे़ शरई़ तअ़ल्लुक़ात ख़त्म करना कोई गुनाह नहीं ? क्या चुग़ली के ज़रीए़ मह़ब्बतों को चुरा लेना कोई गुनाह नहीं ? क्या नौह़ा करना किसी के मरने पर चीख़ना, चिल्लाना, कपड़े फाड़ना, बाल नोचना, सीना पीटना और ना शुक्री के कलिमात ज़बान पर लाना कोई गुनाह नहीं ? क्या किसी इस्लामी बहन को बिला उ़ज्रे़ शरई़ तक्लीफ़ देना और बुरा भला कहना कोई गुनाह नहीं ? क्या औलियाउल्लाह से दुश्मनी रखना कोई गुनाह नहीं ? مَعَاذَ اللّٰہ क्या सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان के बारे में