Lalach Ka Anjaam

Book Name:Lalach Ka Anjaam

(या'नी मालो दौलत) मुनाफ़िक़ों की लगामें हैं, वोह इन के ज़रीए़ दोज़ख़ की त़रफ़ खींचे जाएंगे । ٭ ह़ज़रते सय्यिदुना यह़्या बिन मुआ़ज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : दिरहम बिच्छू हैं, अगर तुम इस के ज़हर का उतार नहीं जानते, तो इसे मत पकड़ो क्यूंकि अगर इस ने डस लिया, तो इस का ज़हर तुम्हें हलाक कर देगा । अ़र्ज़ की : इस का उतार (या'नी इ़लाज) क्या है ? फ़रमाया : ह़लाल त़रीके़ से ह़ासिल करना और इस के ह़ुक़ूके़ वाजिबा (ज़कात वग़ैरा) अदा करना । ٭ ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ला बिन ज़ियाद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : दुन्या ख़ूब बनाव सिंघार कर के मेरे सामने मिसाली सूरत में आई । मैं ने कहा : मैं तेरी बुराई से अल्लाह करीम की पनाह चाहता हूं । वोह बोली : अगर आप मुझ से मह़फ़ूज़ (Safe) रहना चाहते हैं, तो दिरहमो दीनार (या'नी मालो दौलत) से नफ़रत कीजिये क्यूंकि दिरहमो दीनार वोह चीज़ें हैं जिन के ज़रीए़ आदमी हर क़िस्म की दुन्या ह़ासिल करता है, लिहाज़ा जो इन दोनों से सब्र करेगा या'नी दूर रहेगा, वोह दुन्या से भी सब्र कर लेगा । ٭ सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अ़रबी अश्आ़र नक़्ल किये हैं जिन का तर्जमा कुछ यूं है : मैं ने तो (येह राज़) पा लिया है, लिहाज़ा तुम भी इस के इ़लावा कुछ और गुमान मत करो और येह न समझो कि तक़्वा इस दिरहम (या'नी मालो दौलत) के पास है, तो जब तुम इस (मालो दौलत) पर क़ुदरत रखने के बा वुजूद इसे छोड़ दो, तो जान लो कि तुम्हारा तक़्वा एक मुसलमान का तक़्वा है । किसी आदमी की क़मीस पर लगे हुवे पैवन्द या पिन्डली से ऊपर की हुई शल्वार या उस की पेशानी जिस पर (सजदे के) निशानात हों, उन्हें देख कर धोका न खाना बल्कि येह देखना कि वोह दिरहम (या'नी मालो दौलत) से मह़ब्बत करता है या उस से दूर रहता है । (احیا ءالعلوم،کتاب ذم البخل…الخ،۳/۲۸۸)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि माल की मह़ब्बत कैसी मन्ह़ूस आफ़त है मगर अफ़्सोस ! आज हमारा मुआ़शरा माल की मह़ब्बत के फन्दे में बुरी त़रह़ फंस चुका है, जिसे देखो उस पर मालो दौलत जम्अ़ करने और बैंक बेलन्स बढ़ाने का जुनून सुवार है, "पैसा हो, चाहे जैसा हो" जैसी बुरी सोच ने ह़लाल व ह़राम की तमीज़ ही ख़त्म कर के रख दी है, इतना जम्अ़ कर लिया कि सातों नस्लें खाएं जब भी ख़त्म न हो मगर माल जम्अ़ करने का नशा है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा । कसीर जाएदादें (Properties) हैं, दरजनों कम्पनियों के मालिक हैं, डेकोरेशन से आरास्ता आ़लीशान मकानात ता'मीर किये हुवे हैं, बेहतरीन मल्बूसात से अल्मारियां भरी पड़ी हैं, दुकानों, फे़क्ट्रियों, पेट्रोल पम्पस, होटल्ज़ और मार्केट्स से लाखों लाख किराया आ रहा है, आ़लीशान कारें हैं, जदीद तरीन लेपटॉप हैं, आई-पेड, मोबाइल्ज़ और जदीद तरीन मशीनें मौजूद हैं मगर लालच कम होने के बजाए मज़ीद बढ़ता ही चला जा रहा है । लालच की ख़ात़िर मिलावट शुदा चीज़ें ख़ालिस जब कि दो नम्बर चीज़ें एक नम्बर ज़ाहिर कर के बेच कर مَعَاذَ اللّٰہ इसे ख़ुदा के फ़ज़्ल का नाम दिया जा रहा है । इ़ज़्ज़त व शोहरत और मन्सब के ह़ुसूल के लालच में रिशवत देने और दूसरों का ह़क़ मारने से भी गुरेज़ नहीं किया जा रहा, बेहतरीन ज़िन्दगी गुज़ारने के बा