Book Name:Lalach Ka Anjaam
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ह़िर्स व लालच बुरी आ़दात में से एक है, ह़िर्स व लालच रखने वाला इन्सान नफ़्स का ग़ुलाम बन कर हमेशा इधर उधर भटकता रहता है जब कि क़नाअ़त करने वाले को अल्लाह पाक का शुक्र बजा लाने की तौफ़ीक़ मिलती है । लालची आदमी की कोई ख़्वाहिश पूरी न हो, तो वोह शिक्वा शिकायत पर उतर आता है जब कि क़नाअ़त इन्सान की बुलन्द हिम्मती, आ'ला सोच, बुज़ुर्गी, तक़्वा और सब्र की निशानी बनता है । ख़्वाहिशात की पैरवी इन्सान को ह़िर्स व कन्जूसी की आफ़त में मुब्तला कर के राहे ख़ुदा में ख़र्च करने से दूरी का सबब बनती है । आज के बयान में हम ह़िर्स व लालच के नुक़्सानात और इस के बुरे अन्जाम के बारे में सुनेंगे । आइये ! इस से मुतअ़ल्लिक़ एक ह़िकायत सुनते हैं । चुनान्चे,
ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : आक़ाए नामदार, मदीने के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : बनी इसराईल में बहुत से अ़जाइबात (Wonders) थे, लिहाज़ा लोगों को उन के बारे में बताया करो कि इस में कोई ह़रज नहीं । अगर मैं तुम्हारे सामने दो बूढ़ी औ़रतों का क़िस्सा बयान करूं, तो ज़रूर तुम्हें ह़ैरानी होगी । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! इरशाद फ़रमाइये । तो नबिय्ये पाक, साह़िबे लौलाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : बनी इसराईल का एक शख़्स अपनी बीवी से बहुत मह़ब्बत किया करता था, उन दोनों के साथ उन की नाबीना और बूढ़ी माएं भी रहती थीं । शौहर की मां एक नेक सीरत और सच्ची ख़ातून थी जब कि बीवी की मां का किरदार इन्तिहाई बुरा था, वोह अपनी बेटी को उस के शौहर की मां के ख़िलाफ़ भड़काया करती थी, आख़िरे कार एक दिन बीवी ने अपने शौहर से कह डाला कि मैं तुम से उस वक़्त तक ख़ुश नहीं हो सकती जब तक तुम अपनी मां को मुझ से दूर न कर दो ! चूंकि उस का शौहर बीवी की मह़ब्बत में अन्धा हो चुका था, लिहाज़ा उस नालाइक़ ने बीवी के कहने पर अपनी मां को उठाया और दूर किसी जंगल में छोड़ आया ताकि दरिन्दे उसे खा जाएं । जब शाम हुई, तो उस की बूढ़ी मां को चीर फाड़ करने वाले जानवरों ने घेर लिया । इतने में एक फ़िरिश्ता तशरीफ़ लाया और उस बुढ़िया से सुवाल किया : येह कैसी आवाज़ें हैं जिन्हें मैं तेरे आस पास सुन रहा हूं ? बुढ़िया ने कहा : बहुत अच्छी ! येह तो गाय, ऊंट और बकरी की आवाज़ें हैं । फ़िरिश्ते ने दुआ़ दी : अच्छा ही हो ! इतना कह कर वोह चला गया । जब सुब्ह़ हुई, तो पूरी वादी ऊंटों, गाएं और बकरियों से भरी हुई थी । दूसरी त़रफ़ उस के बेटे को ख़याल आया कि (आज) मां के पास जा कर देखता हूं कि उस के साथ क्या मुआ़मला हुवा ? चुनान्चे, जब वोह उस जंगल में पहुंचा, तो ऊंटों, बकरियों और गायों से भरी वादी देख कर ह़ैरत के समुन्दर में डूब गया । उस ने अपनी मां से पूछा : ऐ मेरी मां ! येह क्या मुआ़मला है ? मां ने कहा : ऐ मेरे बेटे ! येह सब अल्लाह पाक की त़रफ़ से रिज़्क़ और उस की अ़त़ा है जब कि तू ने मेरी ना फ़रमानी कर के मेरे