Lalach Ka Anjaam

Book Name:Lalach Ka Anjaam

आगे बढ़ने की कोशिश करो । (मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 112) ٭ लालच बहुत ही बुरी और निहायत ख़राब आ़दत है, अल्लाह पाक की त़रफ़ से बन्दे को जो रिज़्क़ व ने'मत और मालो दौलत या इ़ज़्ज़त व मर्तबा मिला है उस पर राज़ी हो कर क़नाअ़त कर लेनी चाहिये । (जन्नती जे़वर, स. 110, मुलख़्ख़सन) ٭ जिस की ललचाई नज़रें लोगों के माल को देखती रहें, वोह हमेशा ग़मगीन रहेगा । (رسالہ قشیریۃ،۱۹۸) बल्अ़म बिन बाऊ़रा जो बहुत बड़ा आ़लिम और मुस्तजाबुद्दा'वात था (या'नी उस की दुआ़एं बहुत मक़्बूल होती थीं), ह़िर्स व लालच ने उसे दुन्या व आख़िरत में तबाहो बरबाद कर दिया । (मल्फ़ूज़ाते आ'ला ह़ज़रत, . 367, माख़ूज़न) ٭ अल्लाह पाक फ़रमाता है : वोह शख़्स मेरे नज़दीक सब से ज़ियादा मालदार है जो मेरी दी हुई चीज़ पर सबसे ज़ियादा क़नाअ़त करने वाला है । (ابنِ عساکر ،موسیٰ بن عمران بن یصھر بن قامث ، ۶۱/ ۱۳۹ملخصاً)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد