Lalach Ka Anjaam

Book Name:Lalach Ka Anjaam

इसी माह़ोल ने अदना को आ'ला कर दिया देखो !

          मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के एक इस्लामी भाई की ज़िन्दगी भरपूर ग़फ़्लत में गुज़र रही थी, इसी दौरान उन्हें आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी से वाबस्ता एक आ़शिक़े रसूल की सोह़बत मिली । उन की इनफ़िरादी कोशिश ने उन्हें दा'वते इस्लामी के क़रीब कर दिया और वोह मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो गए । जब पहली बार हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शरीक हुवे, तो उन्हों ने अव्वल ता आख़िर बयान सुनने की सआ़दत ह़ासिल की । येह सब कुछ उन्हें बहुत अच्छा लगा लेकिन जब इजतिमाअ़ में शरीक इस्लामी भाई एक आवाज़ में ज़िक्रुल्लाह में मसरूफ़ हुवे, तो उन्हें बे इख़्तियार हंसी आ गई कि येह लोग क्या पागलों की त़रह़ शुरूअ़ हो गए हैं ! (अल्लाह पाक की पनाह) । वोह इसी त़रह़ के वस्वसों में मश्ग़ूल थे कि रूह़ानिय्यत का एक ऐसा झोंका आया कि वोह भी ज़िक्रुल्लाह करने लग गए । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इस ज़िक्र व दुआ़ की बरकत से उन की त़बीअ़त में सन्जीदगी पैदा हो गई और वोह पिछले गुनाहों से तौबा कर के नेकियों के रास्ते पर आ गए, चेहरे पर दाढ़ी मुबारक और सर पर इ़मामा शरीफ़ का ताज सजा लिया । उन के वालिदे मोह़्तरम ने भी दाढ़ी शरीफ़ सजा ली है और तमाम घर वाले सिलसिलए क़ादिरिय्या रज़विय्या अ़त़्त़ारिय्या में दाख़िल हो चुके हैं ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

मजलिसे हफ़्तावार इजतिमाअ़

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आप ने सुना कि हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ की कैसी कैसी बरकतें मिलती हैं और इजतिमाअ़ की बरकत से कैसा मदनी रंग चढ़ता है ! आइये ! आप भी निय्यत कर लीजिये कि कोई शरई़ मजबूरी न हुई, तो हर जुमा'रात को पाबन्दी के साथ हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में न सिर्फ़ ख़ुद शिर्कत करेंगे बल्कि दीगर इस्लामी भाइयों को तरग़ीब दिला कर उन्हें भी अपने साथ लाने की भरपूर कोशिश करेंगे । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के तह़्त कमो बेश 107 शो'बाजात क़ाइम हैं जिन में हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त के निज़ाम को मज़ीद मज़बूत़ बनाने के लिये "मजलिसे हफ़्तावार इजतिमाअ़" भी है । मजलिसे हफ़्तावार इजतिमाअ़ उ़मूमन 3 से 5 अरकान पर मुश्तमिल होती है । क़ारी व ना'त ख़्वां और मुबल्लिग़ का जदवल बनाना, तिलावत व ना'त और बयान की पर्चियां बना कर मुतअ़ल्लिक़ा ज़िम्मेदार को कम अज़ कम 7 दिन पहले बताना, स्पीकर, लाइट्स, जनरेटर और यूपीऐस का मुनासिब इन्तिज़ाम करना, वुज़ू ख़ाना व इस्तिनजा ख़ानों पर पानी वग़ैरा का इन्तिज़ाम करना, इजतिमाअ़ गाह और मस्जिद की सफ़ाई का ख़याल रखना, दरियां व चटाइयां बिछाना और इजतिमाअ़ के इख़्तिताम पर उठाना, बस्तों, वुज़ू ख़ाना और मस्जिद की छत पर गुफ़्तगू में मसरूफ़ इस्लामी भाइयों को नर्मी व शफ़्क़त से इजतिमाअ़ में शिर्कत करवाना, ज़रूरत के मुत़ाबिक़ मुनासिब मक़ामात पर पानी की सबील लगाना, मक्तबतुल मदीना के कुतुबो रसाइल की बस्ते पर फ़राहमी और बस्तों पर ग़ैर शरई़ व ग़ैर अख़्लाक़ी लिट्रेचर और ग़ैर मे'यारी खाने,