Book Name:Namaz Ki Ahmiyat
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : बे नमाज़ी, अल्लाह पाक की अमान में नहीं रहता । नमाज़ की बरकत से इन्सान दुन्या में आफ़तों से, मरते वक़्त बुरे ख़ातिमे से, क़ब्र (के इम्तिह़ान) में फे़ल होने से, ह़श्र में मुसीबतों से अल्लाह पाक के फ़ज़्ल से अमन में रहता है । (मिरआतुल मनाजीह़, 1 / 79, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! नमाज़ों के मुआ़मले में ग़ाफ़िल होना, अल्लाह पाक की नाराज़ी, दोज़ख़ की ह़क़दारी, घर वालों और माल में बे बरकती का सबब है । अल्लाह पाक हमें नमाज़ों की पाबन्दी करने का ह़ुक्म देते हुवे पारह 2, सूरतुल बक़रह की आयत नम्बर 238 में इरशाद फ़रमाता है :
حٰفِظُوْا عَلَى الصَّلَوٰتِ وَ الصَّلٰوةِ الْوُسْطٰىۗ-وَ قُوْمُوْا لِلّٰهِ قٰنِتِیْنَ(۲۳۸)(پ 2، البقرۃ، 238)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तमाम नमाज़ों की पाबन्दी करो और ख़ुसूसन दरमियानी नमाज़ की और अल्लाह के ह़ुज़ूर अदब से खड़े हुवा करो ।
नमाज़ की अहम्मिय्यत का अन्दाज़ा इस बात से भी होता है कि अल्लाह पाक के प्यारे नबी, ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام ने अपने और अपनी औलाद के लिये नमाज़ क़ाइम रखने की दुआ़ भी फ़रमाई, जिस का तज़किरा पारह 13, सूरए इब्राहीम की आयत नम्बर 40 में यूं है :
رَبِّ اجْعَلْنِیْ مُقِیْمَ الصَّلٰوةِ وَ مِنْ ذُرِّیَّتِیْ ﳓ رَبَّنَا وَ تَقَبَّلْ دُعَآءِ(۴۰)(پ 13، الابراہیم، 40)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ मेरे रब ! मुझे और कुछ मेरी औलाद को नमाज़ क़ाइम करने वाला रख, ऐ हमारे रब ! और मेरी दुआ़ क़बूल फ़रमा ।
याद रखिये ! क़ियामत के दिन भी सब से पहले नमाज़ के बारे में ही सुवाल किया जाएगा । जैसा कि ह़दीसे पाक में है : اَوَّلُ مَایُحَاسَبُ بِہِ الْعَبْدُ یَوْمَ الْقِیَامَۃِ صَلَا تُہٗ कल क़ियामत के दिन बन्दे से सब से पहले उस की नमाज़ के बारे में सुवाल होगा । अ़ल्लामा अ़ब्दुर्रऊफ़ मनावी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ इस ह़दीसे पाक के तह़्त फ़रमाते हैं : बेशक नमाज़, ईमान की निशानी और इ़बादत की अस्ल है । (التیسیر،۱/۳۹۱)
नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह में एक शख़्स ने ह़ाज़िर हो कर तीन बार सब से अफ़्ज़ल अ़मल के बारे में सुवाल किया । तो रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने तीनों बार येही जवाब दिया : नमाज़ सब से अफ़्ज़ल अ़मल है । (مسند امام احمد، مسند عبداللّٰہ بن عمرو بن العاص ،۲/۵۸۰، حدیث:۶۶۱۳،ملخصاً)
ऐ आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! हमें भी नमाज़ की अहम्मिय्यत को समझते हुवे पांचों नमाज़ें पाबन्दी के साथ अदा करनी चाहियें ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد