Namaz Ki Ahmiyat

Book Name:Namaz Ki Ahmiyat

नमाज़ के बुन्यादी मसाइल नहीं जानते, जिस की वज्ह से नमाज़ में ग़लत़ियों के सबब अपनी नमाज़ें ज़ाएअ़ कर बैठते हैं । लिहाज़ा हमें नमाज़ों की पाबन्दी की पक्की निय्यत करने के साथ साथ नमाज़ों की सह़ीह़ अदाएगी की त़रफ़ भी भरपूर तवज्जोह देनी चाहिये ताकि हमारी नमाज़ें ज़ाएअ़ होने से बच जाएं । अपनी नमाज़ों को ग़लत़ियों से बचाने, इस की अदाएगी का सह़ीह़ त़रीक़ा सीखने और नमाज़ के ज़रूरी मसाइल जानने के लिये शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की किताब "इस्लामी बहनों की नमाज़" का मुत़ालआ़ कीजिये ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे सुन्नत की फ़ज़ीलत और चन्द सुन्नतें और आदाब बयान करने की सआ़दत ह़ासिल करती हूं । रह़मते आ़लम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने जन्नत निशान है : जिस ने मेरी सुन्नत से मह़ब्बत की, उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने मुझ से मह़ब्बत की, वोह जन्नत में मेरे साथ होगा । (مشکاۃ الصابیح،کتاب الایمان،باب الاعتصام بالکتاب والسنۃ،الفصل الثانی،۱/۵۵،حدیث:۱۷۵)

घर में आने जाने की सुन्नतें और आदाब

          शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से घर में आने जाने की सुन्नतें व आदाब मुलाह़ज़ा फ़रमाइये : ٭ जब घर से बाहर निकलें, तो येह दुआ़ पढ़िये : بِسْمِ اللہِ تَوَکَّلْتُ عَلَی اللہِ لَاحَوْلَ وَلَا قُوَّۃَ اِلَّا بِاللہِ तर्जमा : अल्लाह पाक के नाम से, मैं ने अल्लाह करीम पर भरोसा किया, अल्लाह पाक के बिग़ैर न त़ाक़त है, न क़ुव्वत । (ابو داود،۴/۴۲۰،حدیث:۵۰۹۵) اِنْ شَآءَ اللّٰہ इस दुआ़ को पढ़ने की बरकत से सीधी राह पर रहेंगी, आफ़तों से ह़िफ़ाज़त होगी और अल्लाह करीम की मदद शामिले ह़ाल रहेगी । ٭ घर में दाख़िल होने की दुआ़ :

اَللّٰھُمَّ اِنِّیۤ اَسْأَ لُکَ خَیْرَ الْمَوْلَجِ وَ خَیْرَ الْمَخْرَجِ بِسْمِ اللہ وَلَجْنَا وَ بِسْمِ اللہِ خَرَجْنَا وَ عَلَی اللہِ رَبِّنَاتَوَ کَّلْنَا

तर्जमा : ऐ अल्लाह पाक ! मैं तुझ से दाख़िल होने की और निकलने की भलाई मांगती हूं, अल्लाह पाक के नाम से हम (घर में) दाख़िल हुवे और उसी के नाम से बाहर आए और अपने रब्बे करीम पर हम ने भरोसा किया । (ابوداود،۴/۴۲۰،حدیث:۵۰۹۶) ٭ दुआ़ पढ़ने के बा'द घर वालों को सलाम करे फिर बारगाहे रिसालत में सलाम अ़र्ज़ करे, इस के बा'द सूरतुल इख़्लास शरीफ़ पढ़े, اِنْ شَآءَ اللّٰہ रोज़ी में बरकत और घरेलू झगड़ों से बचत होगी । ٭ अगर ऐसे मकान (ख़्वाह अपने ख़ाली घर) में जाना हो कि उस में कोई न हो, तो येह कहिये : اَلسَّلَامُ عَلَیْنَا وَعَلیٰ عِبَادِ اللہِ الصّٰلِحِیْن (या'नी हम पर और अल्लाह करीम के नेक बन्दों पर सलाम), तो फ़िरिश्ते इस सलाम का जवाब देंगे । (رَدُّالْمُحتار،۹/ ۶۸۲) या इस त़रह़ कहे : اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ اَیُّھَا النَّبِیُّ (या'नी या नबी आप पर सलाम) क्यूंकि ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلہٖ وَسَلَّمَ की रूह़े मुबारक मुसलमानों के घरों में तशरीफ़ फ़रमा होती है । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा 16, स. 96, شرح الشّفاء للقاری،۲/۱۱۸) ٭ जब किसी के घर में दाख़िल होना चाहें, तो इस त़रह़ कहिये : اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ क्या मैं अन्दर आ सकती हूं ? ٭ अगर दाख़िले की इजाज़त न मिले, तो बख़ुशी लौट जाइये, हो सकता है किसी मजबूरी के तह़्त साह़िबे ख़ाना ने इजाज़त न दी हो ।