Namaz Ki Ahmiyat

Book Name:Namaz Ki Ahmiyat

'लानात

          आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! नेकी की दा'वत देने और बुराई से मन्अ़ करने के सबब दुन्या का निज़ाम दुरुस्त रहता है और तर्क की वज्ह से फ़साद बरपा हो जाता है । लोग उस वक़्त तक भलाई पर रहेंगे, जब तक नेकी पर कारबन्द रहेंगे और उस की दा'वत देते रहेंगे और बुराई से रुके रहेंगे और उस से मन्अ़ करते रहेंगे । (नेकी की दा'वत के फ़ज़ाइल, स. 16)

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! हर ______ को ______ मक़ाम से ______ बजे इस्लामी बहनें मदनी दौरे के लिये रवाना होती हैं । आप भी निय्यत फ़रमा लें कि मदनी दौरे में ज़रूर शिर्कत करेंगी । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

          आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! क़ुरआने मजीद जो कि रब्बे पाक का कलाम है जिस पर दीने इस्लाम के अह़काम का मदार है, ऐसा मुबारक कलाम है जिस का न सिर्फ़ पढ़ना इ़बादत है बल्कि इस की तो ज़ियारत करना भी इ़बादत है ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! यकुम रमज़ान से "फै़ज़ाने तिलावते क़ुरआन कोर्स" की तरकीब _________________ मक़ाम पर ______ बजे से ______ बजे तक होगी । तो आइये ! निय्यत फ़रमा लें कि फै़ज़ाने तिलावते क़ुरआन से फै़ज़याब होने के लिये ख़ुद भी शिर्कत करेंगी और दूसरों को भी शिर्कत की तरग़ीब दिलाएंगी । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

          आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! ह़ज़रते सय्यिदतुना उम्मे सलमा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا फ़रमाती हैं कि आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : औ़रत का अपने कमरे में नमाज़ पढ़ना, घर के इह़ाते़ में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है और उस का इह़ात़े में नमाज़ पढ़ना, सेह़्न में नमाज़ पढ़ने से अफ़्ज़ल है और सेह़्न में नमाज़ पढ़ना, घर से बाहर नमाज़ पढ़ने से अफ़्ज़ल है । (जन्नत में ले जाने वाले आ'माल, स. 102)

        आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! हमारा एक मदनी इनआ़म भी "मस्जिदे बैत में नमाज़ अदा करने" वाला है और अपने घर में किसी जगह को ख़ास कर के वहीं नमाज़ अदा करें, तो फिर येह मख़्सूस जगह ही आप की "मस्जिदे बैत" बन जाएगी । तो आइये ! निय्यत कर लेती हैं कि रमज़ानुल मुबारक में सलातुत्तस्बीह़ और तरावीह़ वग़ैरा घर में मस्जिदे बैत में ही अदा करेंगी । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

          तमाम ज़िम्मेदार इस्लामी बहनें येह निय्यत भी फ़रमा लें कि माहे रमज़ान की बरकतों को पाने के लिये हफ़्तावार मदनी दौरे में लाज़िमी शिर्कत करेंगी । तमाम इस्लामी बहनें निय्यत फ़रमा लें कि हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में पाबन्दी से शिर्कत किया करेंगी कि अगर हम पाबन्दी से हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शिर्कत करेंगी, तो अच्छी अच्छी बातें सीखती रहेंगी । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! दा'वते इस्लामी कमो बेश 107 शो'बाजात में दीने मतीन की ख़िदमत में मुल्क व बैरूने मुल्क सरगर्मे अ़मल है, ह़ालांकि ह़ालात ऐसे हैं कि आज गुनाहों के फैलाने पर