Namaz Ki Ahmiyat

Book Name:Namaz Ki Ahmiyat

बहुत ज़ियादा सरमाया ख़र्च किया जा रहा है । आइये ! हम गुनाहों को रोकने और दीन के फैलाने के लिये अपना सरमाया ख़र्च करने का अ़ज़्म करें ।

हफ़्तावार सुन्नतों भरा इजतिमाअ़

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! हज़ारों मक़ामात पर इस्लामी भाइयों और इस्लामी बहनों के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त होते हैं, जिन में हर हफ़्ते लाखों इस्लामी भाई और इस्लामी बहनें शिर्कत कर के इ़ल्मे दीन ह़ासिल करते हैं, सिर्फ़ मुल्के अमीरे अहले सुन्नत में इस्लामी भाइयों के 529 जब कि इस्लामी बहनों के 6501 हफ़्तावार इजतिमाआ़त हो रहे हैं । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : जो अल्लाह पाक की रिज़ा की ख़ात़िर सदक़ा करे, तो वोह (सदक़ा) उस के और आग के दरमियान पर्दा बन जाता है ।

          मुल्क व बैरूने मुल्क दा'वते इस्लामी के ज़ेरे इन्तिज़ाम चलने वाले मदारिसुल मदीना, जामिआ़तुल मदीना और दीगर शो'बाजात के जुम्ला अख़राजात के लिये अपने मदनी अ़त़िय्यात (या'नी चन्दे) से तआ़वुन फ़रमाइये और सवाबे जारिया ह़ासिल कीजिये । निय्यत फ़रमा लीजिये कि अपने तमाम तर सदक़ाते वाजिबा व नाफ़िला (ज़कात, सदक़ा, ख़ैरात वग़ैरा) आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी को देंगी, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । अल्लाह करीम अ़मल की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए । آمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

          तमाम इस्लामी बहनें पेम्फ़लेट "रमज़ान में गुनाह करने वाले की क़ब्र का भयानक मन्ज़र" मक्तबतुल मदीना से ज़ियादा ता'दाद में वरना कम अज़ कम 12 या ह़स्बे तौफ़ीक़ ख़रीद फ़रमा कर इसे तक़्सीम फ़रमाएं और अपने घर में नुमायां जगह पर आवेज़ां फ़रमाएं, इस की बरकत से गुनाहों से बचने का जे़हन बनेगा । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

            اَلْحَمْدُ لِلّٰہ माहे रमज़ानुल मुबारक में शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत बा'दे नमाज़े अ़स्र व बा'दे नमाज़े तरावीह़ मदनी मुज़ाकरे के लिये वक़्त अ़त़ा फ़रमाते हैं जो कि मदनी चेनल पर बराहे रास्त पेश किया जाता है । तमाम इस्लामी बहनों से मदनी इल्तिजा है कि लाज़िमी इन दोनों मदनी मुज़ाकरों में ख़ुद भी शिर्कत फ़रमाएं बल्कि घर के दीगर अफ़राद को भी एहतिमाम के साथ इन मदनी मुज़ाकरों को दिखाने की तरकीब बनाएं, اِنْ شَآءَ اللّٰہ इ़ल्मो ह़िक्मत के बे शुमार मोती मिलेंगे ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد