Halal Kay Fazail Aur Haram Ki Waedain

Book Name:Halal Kay Fazail Aur Haram Ki Waedain

कह देते हैं कि मेरा येह आ़लीशान मकान और घर में जो ख़ुश ह़ाली देख रहे हो, येह सब ह़राम माल की बदौलत ही तो है । आज कल इस महंगाई के दौर में ईमानदारी से कमाने लगें, तो दो वक़्त की रोटी सुकून से खानी मुश्किल हो जाएगी । अहले ख़ाना की नई नई फ़रमाइशें और ख़्वाहिशें मा'मूली आमदनी में कहां पूरी होती हैं ! مَعَاذَ اللّٰہ

याद रखिये ! येह सब दीन से दूरी की नुह़ूसत है । ऐसे ही दौर के बारे में ग़ैब की ख़बर देते हुवे प्यारे आक़ा, मक्के मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : लोगों पर एक ज़माना ऐसा आएगा कि आदमी को इस बात की कोई परवा न होगी कि उस ने (माल) कहां से ह़ासिल किया, ह़राम से या ह़लाल से । (بخاری، کتاب البیوع، باب من لم یبالی من حیث الخ، ۲/۷، حدیث:۲۰۵۹)

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ इस ह़दीस की शर्ह़ में फ़रमाते हैं : या'नी आख़िर ज़माने में लोग दीन से बे परवा हो जाएंगे, पेट की फ़िक्र में हर त़रह़ फंस जाएंगे, आमदनी बढ़ाने, माल जम्अ़ करने की फ़िक्र करेंगे, हर ह़राम व ह़लाल लेने पर दिलेर (या'नी बहादुर) हो जाएंगे, जैसा कि आज कल आ़म है । (मिरआतुल मनाजीह़, 4 / 229)

          एक और ह़दीसे पाक में है : लोगों पर एक ज़माना ऐसा आएगा कि उस शख़्स के इ़लावा किसी दीन वाले का दीन मह़फ़ूज़ न रहेगा जो अपने दीन को ले कर (या'नी उस की ह़िफ़ाज़त की ख़ात़िर) एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ और एक ग़ार से दूसरे ग़ार की त़रफ़ भागे, उस वक़्त मई़शत (या'नी रोज़ी रोटी वग़ैरा) का ह़ुसूल अल्लाह पाक को नाराज़ किये बिग़ैर न होगा । जब येह सूरते ह़ाल होगी, तो आदमी अपने बीवी बच्चों के हाथों बरबाद हो जाएगा, अगर बीवी बच्चे न होंगे, तो वालिदैन के हाथों उस की बरबादी होगी और अगर वालिदैन भी न हों, तो उस की बरबादी रिश्तेदारों या पड़ोसियों के हाथों होगी । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! येह कैसे होगा ? आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : वोह उसे मई़शत (या'नी रोज़ी रोटी वग़ैरा) की कमी पर शर्म दिलाएंगे, उस वक़्त वोह अपने आप को बरबादी की जगहों में ले जाएगा । (الزهد الکبیر للبیهقی،الجزء الثانی، فصل فی ترک الدنیا الخ، ص۱۸۳، حدیث:۴۳۹)

माले ह़राम का वबाल

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! लरज़ उठिये ! जिन के लिये हम दिन, रात कमाते हैं, वोही कल बरोज़े क़ियामत हमारी रुसवाई का सबब बन सकते हैं । अगर्चे मां-बाप, बीवी बच्चों और क़राबत दारों के ह़ुक़ूक़ की अदाएगी यक़ीनन हमारी ज़िम्मेदारियों में शामिल है लेकिन अगर हम इन की ख़्वाहिशात पूरी करने और इन के त़ा'नों से बचने के लिये ह़राम व ह़लाल की परवा किये बिग़ैर मालो दौलत जम्अ़ करते रहे, मुश्किल वक़्त में इन्हें सब्रो शुक्र, अल्लाह पाक पर भरोसा और थोड़ी रोज़ी पर क़नाअ़त करने का ज़ेहन न दिया और ह़लाल व ह़राम की तमीज़ न सिखाई, तो हो सकता है कि कल बरोज़े क़ियामत येही हमारे ख़िलाफ़ बारगाहे इलाही में मुक़दम्मा कर दें और हमारी पकड़ हो जाए । जैसा कि :