Book Name:Halal Kay Fazail Aur Haram Ki Waedain
ख़ुद चाहे जवान बेटों, बेटियों के साथ गुनाहों भरे चेनल्ज़ देखने में कोई शर्म मह़सूस न करता हो, ख़ुद चाहे गुनाहों भरे मक़ामात में बड़े शौक़ के साथ बैठ कर वक़्त ज़ाएअ़ करता हो ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! औलाद के नेक होने की तमन्ना वाके़ई़ बहुत अच्छी है मगर हमें अपने ज़ाती किरदार का जाइज़ा लेना होगा, अपने गिरेबान में झांकना होगा, इ़ल्मे दीन ह़ासिल कर के उस पर अ़मल करना होगा, ह़लाल रोज़ी में ह़राम के जितने भी ज़राएअ़ शामिल हो सकते हैं उन से अपने आप को ख़बरदार रखना होगा, क़दम क़दम पर उ़लमाए अहले सुन्नत से राबित़े में रहना होगा । बसा अवक़ात ग़ैर शरई़ काम हो जाने के बा'द इस की शरई़ रहनुमाई ली जाती है कि फ़ुलां काम मेरे लिये जाइज़ था या नाजाइज़ । ऐ काश ! कोई भी नया काम, कारोबार शुरूअ़ करने से क़ब्ल उस काम के बारे में शरई़ रहनुमाई लेने का मदनी जे़हन बन जाए कि मैं फ़ुलां काम करना चाहता हूं, इस को शरीअ़त के तक़ाज़ों के मुत़ाबिक़ मुझे कैसे करना होगा ? क्या येह काम मेरे लिये जाइज़ व ह़लाल है कि नहीं ? कई काम, कारोबार ऐसे होते हैं कि जिस में दो या इस से ज़ाइद अफ़राद मिल कर करते हैं, जिस को शिराकत दारी (Partnership) कहा जाता है, ऐसी सूरत में तो ज़ियादा एह़तियात़ की ह़ाजत है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मदनी क़ाफ़िला"
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! घर वालों की इस्लाह़ और उन की मदनी तरबिय्यत का त़रीक़ा जानने और घर में मदनी माह़ोल बनाने के मक़्सद में काम्याबी पाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाइये और 12 मदनी कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लीजिये । जै़ली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मदनी क़ाफ़िला" भी है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मदनी क़ाफ़िलों की बरकत से न जाने कितने लोगों की ज़िन्दगियों में मदनी इन्क़िलाब बरपा हो चुका है । ٭ मदनी क़ाफ़िले में सफ़र करने से नेक लोगों की सोह़बत मुयस्सर आती है । ٭ मदनी क़ाफ़िले की बरकत से मस्जिद में नफ़्ली ए'तिकाफ़ करने की सआ़दत मिलती है । ٭ मदनी क़ाफ़िले की बरकत से बे नमाज़ियों को नमाज़ों की अहम्मिय्यत मा'लूम होती है । ٭ मदनी क़ाफ़िले की बरकत से बहुत से दीनी मसाइल सीखने की सआ़दत मिलती है । ٭ मदनी क़ाफ़िले की बरकत से मस्जिदों में ज़िक्रो अज़्कार, दर्सो बयानात का सिलसिला जारी रहता है । ٭ मदनी क़ाफ़िले की बरकत से मस्जिदें आबाद होती हैं । मसाजिद को आबाद करने की तो क्या ही बात है ! ह़दीसे पाक में है : जब कोई बन्दा ज़िक्रो नमाज़ के लिये मस्जिद को ठिकाना बना लेता है, तो अल्लाह पाक उस से ऐसे ख़ुश होता है, जैसे लोग अपने गुमशुदा शख़्स की आपने हां आमद पर ख़ुश होते हैं ।
(ابن ماجہ،کتا ب المساجد … الخ،با ب لزوم المساجد … الخ،۱/ ۴۳۸، رقم :۸۰۰)
आइये ! बत़ौरे तरग़ीब मदनी क़ाफ़िले की एक मदनी बहार सुनते हैं । चुनान्चे,