Book Name:Baron Ka Ihtiram Kejiye
इनआ़मात के रिसाले को खोल कर इस में दिये गए सुवालात के जवाबात में ख़ुद ही "हां" या "ना" के ज़रीए़ अपने आ'माल के अच्छे, बुरे होने का जाइज़ा लेते हुवे अपनी ग़लत़ियों को सुधार सकते हैं । गोया येह मदनी इनआ़मात हमें रोज़ाना अपनी क़ाइम कर्दा मुह़ासबे की अ़दालत में ह़ाज़िर कर के हमारे ही ज़मीर से फै़सला करवाते और हमें अपनी इस्लाह़ व नजात का मौक़अ़ फ़राहम करते हैं ।
दर ह़क़ीक़त येह मदनी इनआ़मात जन्नत में ले जाने वाले और जहन्नम से बचाने वाले आ'माल की तरग़ीब का मजमूआ़ हैं, गोया शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने हमारी अ़मली बद ह़ाली मुलाह़ज़ा फ़रमाते हुवे हमारी इस्लाह़ का एक ख़ूब सूरत त़रीक़ा इख़्तियार फ़रमाया ताकि हम रोज़ाना वक़्त मुक़र्रर कर के फ़िक्रे मदीना (या'नी अपने आ'माल का मुह़ासबा करने) पर इस्तिक़ामत ह़ासिल करने में कामयाब हो जाएं । येही वज्ह है कि बे शुमार इस्लामी भाई, इस्लामी बहनें, त़लबा और त़ालिबात रोज़ाना फ़िक्रे मदीना करते हुवे मदनी इनआ़मात के रिसाले में दिये गए ख़ाने पुर करते हैं, जिस की बरकत से नेक बनने और गुनाहों से बचने की राह में आने वाली रुकावटें अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम से आहिस्ता आहिस्ता दूर होती चली जाती हैं, पाबन्दे सुन्नत बनने, गुनाहों से नफ़रत करने और ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिये कोशिश करने का ज़ेहन भी बनता है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से सलाम करने की चन्द सुन्नतें और आदाब सुनते हैं । ٭ मुसलमान से मुलाक़ात करते वक़्त उसे सलाम करना सुन्नत है । ٭ दिन में कितनी ही बार मुलाक़ात हो, एक कमरे से दूसरे कमरे में बार बार आना जाना हो, वहां मौजूद मुसलमानों को सलाम करना सवाब का काम है । ٭ सलाम में पहल करना सुन्नत है । ٭ सलाम में पहल करने वाला अल्लाह पाक का मुक़र्रब है । ٭ सलाम में पहल करने वाला तकब्बुर से भी बरी है । जैसा कि मेरे मक्की मदनी आक़ा, मीठे मीठे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने बा सफ़ा है : पहले सलाम कहने वाला तकब्बुर से बरी है । (شُعَبُ الایمان ج۶ ص ۴۳۳) ٭सलाम (में पहल) करने वाले पर 90 रह़मतें और जवाब देने वाले पर 10 रह़मतें नाज़िल होती हैं । (कीमियाए सआ़दत) ٭ اَلسَّلامُ عَلَیْکُمْ कहने से 10 नेकियां मिलती हैं, साथ में وَرَحْمَۃُ اللہ भी कहेंगे, तो 20 नेकियां हो जाएंगी औरوَبَرَکاتہٗ शामिल करेंगे, तो 30 नेकियां हो जाएंगी । ٭ इसी त़रह़ जवाब मेوَعَلَیْکُمُ السَّلَامُ وَ رَحْمَۃُ اللہِ وَ بَرَکاتُہٗ कह कर 30 नेकियां ह़ासिल की जा सकती हैं । ٭ सलाम का जवाब फ़ौरन और इतनी आवाज़ से देना वाजिब है कि सलाम करने वाला सुन ले । ٭ सलाम और जवाबे सलाम का दुरुस्त तलफ़्फ़ुज़ याद फ़रमा लीजिये । पहले मैं कहता हूं, आप सुन कर दोहराइये : اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ । अब पहले मैं जवाब सुनाता हूं फिर आप इस को दोहराइये : وَعَلَیْکُمُ السَّلَام ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد