Baron Ka Ihtiram Kejiye

Book Name:Baron Ka Ihtiram Kejiye

          ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मदनी मुज़ाकरे देखते, सुनते रहने की बरकत से शरई़ मुआ़मलात में एह़तियात़ करने का ज़ेहन नसीब होता है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से आ़शिक़ाने रसूल की सोह़बत मुयस्सर आती है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से अ़मल का जज़्बा बढ़ता है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से गुनाहों से नफ़रत पैदा होती है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल में इस्तिक़ामत नसीब होती है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी कामों के बारे में मा'लूमात मिलती हैं । ٭ मदनी मुज़ाकरा इ़ल्मे दीन की तरक़्क़ी का बाइ़स है । ٭ मदनी मुज़ाकरा अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की ज़िन्दगी के सैंक्ड़ों बल्कि हज़ारों तजरिबात से मदनी तरबिय्यत ह़ासिल करने का बेहतरीन ज़रीआ़ है । ٭ मदनी मुज़ाकरे में दीनी मा'लूमात मिलने के साथ साथ अख़्लाक़ी तरबिय्यत भी होती है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से किये गए मुख़्तलिफ़ सुवालात के दिलचस्प जवाबात की सूरत में इ़ल्मे दीन ह़ासिल होता है और इ़ल्मे दीन की फ़ज़ीलत के भी क्या कहने ! कि :

एक हज़ार नवाफ़िल से अफ़्ज़ल    

          ह़ज़रते सय्यिदुना अबू ज़र ग़िफ़ारी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं, ह़ुज़ूरे पुरनूर, शाफे़ए़ यौमुन्नुशूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मुझ से इरशाद फ़रमाया : ऐ अबू ज़र ! तुम्हारा इस ह़ाल में सुब्ह़ करना कि तुम ने अल्लाह करीम की किताब से एक आयत सीखी हो, येह तुम्हारे लिये सौ रक्अ़तें नफ़्ल पढ़ने से बेहतर है और तुम्हारा इस ह़ाल में सुब्ह़ करना कि तुम ने इ़ल्म का एक बाब सीखा हो जिस पर अ़मल किया गया हो या न किया गया हो, तो येह तुम्हारे लिये हज़ार रक्अ़त नवाफ़िल पढ़ने से बेहतर है । (ابن ماجہ، کتاب السنة، ۱/۱۴۲،حدیث:۲۱۹)

        اَلْحَمْدُلِلّٰہ ! कई इस्लामी भाई मदनी मुज़ाकरे की बरकत से अपनी गुनाहों भरी ज़िन्दगी से तौबा कर चुके हैं । आइये ! निय्यत करते हैं कि हम भी हर हफ़्ते मदनी मुज़ाकरा देखने को यक़ीनी बनाएंगे और दूसरे इस्लामी भाइयों को भी मदनी मुज़ाकरा देखने की दा'वत देते रहेंगे, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरे के इ़लावा मुख़्तलिफ़ मवाक़ेअ़ पर भी मदनी मुज़ाकरों का सिलसिला होता है, मसलन मोह़र्रमुल ह़राम के 10 मदनी मुज़ाकरे, माहे रबीउ़ल अव्वल (बारहवीं शरीफ़) के 12 मदनी मुज़ाकरे, माहे रबीउ़ल आख़िर (ग्यारहवीं शरीफ़) के 11 मदनी मुज़ाकरे, माहे रमज़ान में रोज़ाना 2 मदनी मुज़ाकरे, माहे ज़ुल ह़िज्जतिल ह़राम के 10 मदनी मुज़ाकरे वग़ैरा । 12 मदनी कामों में से हफ़्तावार इस मदनी काम "मदनी मुज़ाकरा" की तफ़्सीली मा'लूमात जानने के लिये मक्तबतुल मदीना के रिसाले "हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा" का मुत़ालआ़ कीजिये । तमाम ज़िम्मेदाराने दा'वते इस्लामी बिल ख़ुसूस हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा की मजालिस के निगरान व अराकीन तो इस रिसाले का लाज़िमी मुत़ालआ़ फ़रमाएं । येह रिसाला मक्तबतुल मदीना पर दस्तयाब होने के साथ साथ दा'वते इस्लामी की वेबसाइट www.dawateislami.net से भी पढ़ा जा सकता है ।

          इस रिसाले के मुत़ालए़ की बरकत से आप जान सकेंगे : ٭ इ़ल्म न सीखने के नुक़्सानात । ٭ मदनी मुज़ाकरे में सुवाल पूछने की अहम्मिय्यत । ٭ मदनी मुज़ाकरे में शिर्कत के त़रीके़ । ٭