Baron Ka Ihtiram Kejiye

Book Name:Baron Ka Ihtiram Kejiye

क़ादिरी रज़वी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से कामिल अ़क़ीदतो मह़ब्बत की, तो अल्लाह पाक ने आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ को इस क़दर नवाज़ा कि आज दुन्या भर में आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की शोहरत के डंके बज रहे हैं ।

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अगर हम भी चाहते हैं कि अल्लाह करीम और उस के प्यारे ह़बीब, ह़बीबे लबीब, हम गुनाहगारों के त़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ हम से राज़ी रहें, हम अपने पीरो मुर्शिद के मह़बूब व मन्ज़ूरे नज़र बन जाएं, तो हमें भी अदब का दामन मज़बूत़ी से थामना होगा, اِنْ شَآءَ اللّٰہ इस की बरकत से काम्याबी हमारे क़दम चूमेगी ।

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

मदनी इनआ़म नम्बर 7 की तरग़ीब

          शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ न सिर्फ़ ख़ुद बा अदब और पाकीज़ा किरदार के मालिक हैं बल्कि आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने मुसलमानों को भी अदबो एह़तिराम सिखाने के लिये एक रिसाला "एह़तिरामे मुस्लिम" के नाम से तह़रीर फ़रमाया है । आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने इस गए गुज़रे दौर में मुसलमानों को बा अ़मल बनाने के साथ साथ उन्हें बा अदब बनाने के लिये शरीअ़तो त़रीक़त का मजमूआ़ बनाम "72 मदनी इनआ़मात" सुवालात की सूरत में अ़त़ा फ़रमाया है । इस रिसाले के मदनी इनआ़म नम्बर 7 में है : आज आप ने (घर में भी और बाहर भी) हर छोटे, बड़े, ह़त्ता कि वालिदा (और अगर हैं, तो अपने बच्चों और उन की अम्मी) को भी तू कह कर मुख़ात़ब किया या आप कह कर ? नीज़ हर एक से दौराने गुफ़्तगू "हैं" कह कर बात की या "जी" कह कर ? (आप कहना, जी कहना दुरुस्त जवाब है) । हमें चाहिये कि इस मदनी इनआ़म पर अ़मल करते हुवे हर एक से अदब के दाइरे में रह कर गुफ़्तगू करें, अबे, तबे, तू तुकार और बाज़ारी लह्जे से न घर वालों से बात करें और न घर से बाहर । देखा गया है कि बा'ज़ लोग बाहर तो ख़ूब अच्छे अख़्लाक़ के पैकर बनते और जी, जनाब से बात करते हैं मगर जूंही घर में क़दम रखा "शेरे बब्बर" की त़रह़ दहाड़ते, ख़ूब तू तुकार और दिल दुखाने वाली गुफ़्तगू करते बल्कि मार धाड़ तक से भी नहीं चूकते । ऐसे लोगों को नबिय्ये करीम, मह़बूबे रब्बे अ़ज़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का येह फ़रमान अपने ज़ेहन में बिठा लेना चाहिये । चुनान्चे,

आक़ाए नामदार, मदीने के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने आ़लीशान है : خَیْرُکُـمْ خَیْرُکُـمْ لِنِسَائِہٖ وَلِبَنَاتِہٖ तुम सब में बेहतरीन वोह है जो अपनी औ़रतों और बच्चियों के साथ अच्छा हो । (شعب الایمان ،باب فی حقوق الأولاد والأہلین،۶/۴۱۵ ، حدیث :۸۷۲۰)

        ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : बड़ा ख़लीक़ (या'नी अच्छे अख़्लाक़ वाला) वोह है, जो अपने बीवी, बच्चों के साथ ख़लीक़ (या'नी अच्छे अख़्लाक़ वाला) हो कि इन से हर वक़्त काम रहता है, अजनबी लोगों से ख़लीक़ (या'नी अच्छे अख़्लाक़ वाला) होना कमाल नहीं कि उन से मुलाक़ात कभी कभी होती है । (मिरआतुल मनाजीह़, 5 / 96)

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! मदनी इनआ़मात का येह अ़ज़ीम तोह़्फ़ा हमारी दुन्या व आख़िरत संवारने के लिये एक बेहतरीन ज़रीआ़ है, इस पर अ़मल पैरा हो कर हम अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश का अ़ज़ीम जज़्बा पा सकते हैं और तन्हाई में मदनी