Baron Ka Ihtiram Kejiye

Book Name:Baron Ka Ihtiram Kejiye

मदनी मुज़ाकरों की तफ़्सील तादमे तह़रीर । ٭ मदनी मुज़ाकरे के मुतअ़ल्लिक़ मर्कज़ी मजलिसे शूरा के मदनी फूल । ٭ मदनी मुज़ाकरे के तअ़ल्लुक़ से एह़तियात़ों और मुफ़ीद मा'लूमात पर मुश्तमिल सुवाल जवाब । ٭ मदनी मुज़ाकरे की शरई़ व तन्ज़ीमी एह़तियात़ें वग़ैरा । आइये ! बत़ौरे तरग़ीब मदनी मुज़ाकरा सुनने की बरकत से दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता होने वाले शख़्स की मदनी बहार सुनते  हैं । चुनान्चे,

फै़शन का दिलदादह सुधर गया

          मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के मुक़ीम एक इस्लामी भाई सुन्नतों से दूर फै़शन के नशे में गुम थे, नए फै़शन वाले लिबास पहनना, फ़ुज़ूलिय्यात में अपने क़ीमती लम्ह़ात ज़ाएअ़ करना उन का मा'मूल था, ज़िक्रे इलाही से बिल्कुल ग़ाफ़िल हो चुके थे । नेकियों भरी ज़िन्दगी गुज़ारने का ज़ेहन कुछ यूं बना कि एक बार उन्हें "मदनी मुज़ाकरा" सुनने की सआ़दत मिल गई, इस की बरकत से उन की ज़िन्दगी का रुख़ ही बदल गया । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के आसान अन्दाज़ में बयान की जाने वाली ढेरों ढेर मा'लूमात का अनमोल ख़ज़ाना लूटने का सुनेहरी मौक़अ़ मिला, ख़ौफे़ ख़ुदा और इ़श्के़ मुस्त़फ़ा की किरनों से उन का दिल रौशन हो गया, पिछली ज़िन्दगी पर शर्मिन्दगी होने लगी, लिहाज़ा उन्हों ने बक़िय्या ज़िन्दगी को ग़नीमत जानते हुवे फै़शन (Fashion) की नुह़ूसत से जान छुड़ाई, सुन्नतों पर अ़मल करने और नमाज़ों की पाबन्दी का पुख़्ता इरादा कर लिया, सर पर सब्ज़ सब्ज़ इ़मामा शरीफ़ सजा लिया, दाढ़ी शरीफ़ से चेहरा पुरनूर कर लिया और नेकियों पर इस्तिक़ामत पाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो गए जब कि नेकी की दा'वत की धूमें मचाने के लिये हर माह 3 दिन के मदनी क़ाफ़िले में सफ़र करना इन का मा'मूल बन गया ।

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

मजलिसे मदनी मुज़ाकरा

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि मदनी मुज़ाकरा सुनने से कैसी कैसी बरकतें मिलती हैं ! लिहाज़ा सुस्ती भगाइये और अपने काम काज से वक़्त निकाल कर पाबन्दी के साथ हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा सुनने की आ़दत बनाइये । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी दुन्या भर में ख़िदमते दीन के कमो बेश 105 शो'बाजात में सुन्नतों की धूमें मचा रही है, जिन में से एक शो'बा "मजलिसे मदनी मुज़ाकरा" भी है ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने "इ़ल्म बे शुमार ख़ज़ानों का मजमूआ़ है, जिन के ह़ुसूल का ज़रीआ़ सुवाल है" के क़ौल को अ़मली जामा पहनाते हुवे सुवाल व जवाब का एक सिलसिला शुरूअ़ फ़रमाया है, जिसे दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल में "मदनी मुज़ाकरा" कहा जाता है । आ़शिक़ाने रसूल मदनी मुज़ाकरों में अ़क़ाइदो आ'माल, फ़ज़ाइलो मनाक़िब, शरीअ़तो त़रीक़त, तारीख़ व सीरत, साइन्स व त़िब, अख़्लाक़िय्यात व इस्लामी मा'लूमात, मआ़शी व मुआ़शरती व तन्ज़ीमी मुआ़मलात और दीगर बहुत से मौज़ूआ़त