Book Name:Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat
आइये ! हम सब भी निय्यत करते हैं कि किसी को गुनाह में मुब्तला देख कर उस को नर्मी से समझाने की कोशिश करेंगे, اِنْ شَآءَ اللہ । दूसरों की इस्लाह़ के साथ साथ अपनी भी इस्लाह़ की कोशिश करेंगे, اِنْ شَآءَ اللہ । अपने अहलो इ़याल पर इनफ़िरादी कोशिश कर के घर में मदनी माह़ोल बनाएंगे । اِنْ شَآءَ اللہ
याद रहे ! घर में मदनी माह़ोल बनाने के लिये शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के अ़त़ा कर्दा "19 मदनी फूल" क़बूल फ़रमा लीजिये । येह मदनी फूल आप को "72 मदनी इनआ़मात" के रिसाले के सफ़ह़ा नम्बर 28 से मिल जाएंगे ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن ने अपनी ज़िन्दगियां मुसलमानों की इस्लाह़ की कोशिश करते हुवे गुज़ार दीं, बा'ज़ ने अपनी पुर असर तह़रीरों के ज़रीए़, बा'ज़ ने तक़रीरों के ज़रीए़ और बा'ज़ ने दोनों त़रीक़ों से मुसलमानों की इस्लाह़ का मुक़द्दस काम सर अन्जाम दिया । इस बात को यूं समझिये कि येह ह़ज़रात रूह़ानी त़बीब की सी ह़ैसिय्यत रखते हैं और इन की मह़ाफ़िल ऐसे शिफ़ा ख़ानों कि त़रह़ हैं जहां न टोकन लेना पड़ता है, न लाइन लगानी पड़ती है और न ही कोई फ़ीस वग़ैरा ली जाती है बल्कि यहां का तो क़ानून ही मिसाली है । कुफ़्र की तारीकी में भटके और गुनाहों में मुब्तला मरीज़ जब इन के रूह़ानी शिफ़ा ख़ानों में आते हैं, तो इन अल्लाह वालों की बारगाह से हाथों हाथ उन्हें क़ुरआनी आयात, तफ़ासीर, अह़ादीस, शुरूह़ात, इ़ब्रत आमोज़ वाक़िआ़त व ह़िकायात से चुन चुन कर मदनी फूल अ़त़ा होते हैं, जिन से मुतअस्सिर हो कर ग़ैर मुस्लिमों को ईमान की दौलत जब कि बे शुमार गुनाहगारों को सच्ची तौबा की तौफ़ीक़ नसीब हो जाती है । आइये ! इस की ऐक ईमान अफ़रोज़ झलक मुलाह़ज़ा कीजिये । चुनान्चे,