Book Name:Nabi-e-Kareem Ki Mubarak Shehzadiyon Kay Fazail
अदा करती रहीं । लिहाज़ा अगर कभी हम पर कोई मुसीबत आ जाए या राहे ख़ुदा में हमें किसी अज़िय्यत से दो चार होना पड़े, तो हमें चाहिये कि हम भी अल्लाह करीम पर भरोसा करते हुवे सब्र, सब्र और सब्र से काम लें ।
अह़ादीसे करीमा में मुसीबतों पर सब्र के बे शुमार फ़ज़ाइल बयान हुवे हैं । आइये ! बत़ौरे तरग़ीब 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिये और मुसीबतों पर सब्र करने की आ़दत बनाइये । चुनान्चे,
- इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक जिस के साथ भलाई का इरादा फ़रमाता है, उसे मुसीबत में मुब्तला फ़रमा देता है ।
(بخاری، کتاب المرضی ،با ب ماجاء فی کفارۃ المرض، رقم: ۵۶۴۵،۴/ ۴)
इरशाद फ़रमाया : बन्दे को अपनी दीनदारी के ए'तिबार से मुसीबत में मुब्तला किया जाता है, अगर वोह दीन में सख़्त होता है, तो उस की आज़माइश भी सख़्त होती है और अगर वोह अपने दीन में कमज़ोर होता है, तो अल्लाह करीम उस की दीनदारी के मुत़ाबिक़ उसे आज़माता है । बन्दा मुसीबत में मुब्तला होता रहता है, यहां तक कि इस दुन्या ही में उस के सारे गुनाह बख़्श दिये जाते हैं ।
(ابن ماجہ،کتاب الفتن،باب الصبر علی البلاء،۴ /۳۶۹ ، رقم: ۴۰۲۳)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! याद रखिये ! मुसीबतों और आज़माइशों का आना बाइ़से ज़ह़मत या'नी तक्लीफ़ नहीं बल्कि बाइ़से रह़मत व सआ़दत है । लिहाज़ा चाहे कितनी ही मुसीबतें आ पड़ें, आज़माइशों के त़ूफ़ान आ जाएं, परेशानियों का सैलाब आ जाए और बीमारियां मख्खी की त़रह़ चिमट जाएं, तब भी ह़र्फे़ शिकायत ज़बान पर हरगिज़ मत लाइये बल्कि अपना यूं ज़ेहन बनाइये कि अगर हम मुसीबत पर सब्र करने में कामयाब हो गईं, तो बरोज़े क़ियामत इस के ऐसे अ़ज़ीमुश्शान सवाब की ह़क़दार हो जाएंगी जिस को देख कर लोग रश्क करेंगे । चुनान्चे,