Nabi-e-Kareem Ki Mubarak Shehzadiyon Kay Fazail

Book Name:Nabi-e-Kareem Ki Mubarak Shehzadiyon Kay Fazail

अ़र्ज़ की : प्यारी अम्मीजान ! क्या वज्ह है कि आप अपने लिये कोई दुआ़ नहीं करतीं ? फ़रमाया : पहले पड़ोस है फिर घर ।

(مَدَارِجُ النُّبُوَّت ، ج۲، قسم پنجم، باب اوّل در ذکر اولاد کرام،  ص۴۶۱)

        आइये ! अब सय्यिदा ख़ातूने जन्नत رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا के ज़ौके़ तिलावत के मुतअ़ल्लिक़ सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان के फ़रामीन सुनने की सआ़दत ह़ासिल करती हैं । चुनान्चे,

मसरूफ़िय्यत में भी तिलावत

      ह़ज़रते सय्यिदुना सलमान फ़ारसी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : एक मरतबा ह़ज़राते ह़-सनैने करीमैन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا सो रहे थे, आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا उन को पंखा झल रही थीं और ज़बान से कलामे इलाही की तिलावत जारी थी ।

(सफ़ीनए नूह़, ह़िस्सा दुवुम, स. 35, बित्तग़य्युर)

खाना पकाते वक़्त भी तिलावत

          अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना अ़लिय्युल मुर्तज़ा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : सय्यिदा ख़ातूने जन्नत رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا खाना पकाने (Cookingकी ह़ालत में भी क़ुरआने पाक की तिलावत जारी रखतीं ।

(सफ़ीनए नूह़, ह़िस्सा दुवुम, स. 35)

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि ख़ातूने जन्नत, सय्यिदा फ़ात़िमा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا को इ़बादत व तिलावत का किस क़दर ज़ौक़ो शौक़ था कि दिन रात इ़बादत बजा लातीं और घरेलू मसरूफ़िय्यत के दौरान भी ज़बान से क़ुरआने करीम की तिलावत जारी रखतीं । अफ़्सोस ! आज बा'ज़ ख़वातीन घर के काम काज के दौरान गाने सुनती हैं, गोया गाने, बाजों के बिग़ैर उन के काम ही नहीं होते ।

          ऐ काश ! हमें अपनी रातें इ़बादत में बसर करने की सआ़दत नसीब हो जाए । ऐ काश ! हमारा कोई लम्ह़ा फ़ुज़ूल कामों में बसर न हो । ऐ काश ! हमारी हर घड़ी ज़िक्रो दुरूद के सबब रह़मत भरी गुज़रे । ऐ काश ! गाने, बाजे