Tazeem-e-Mustafa Ma Jashne Milad Ki Barakaten

Book Name:Tazeem-e-Mustafa Ma Jashne Milad Ki Barakaten

वह़्य भेजी कि उस को वहां से उठाओ और उस के कफ़न दफ़्न का इन्तिज़ाम कर के उस की नमाज़े जनाज़ा पढ़ो । ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने लोगों से उस के मुतअ़ल्लिक़ पूछा, तो उन्हों ने उस के बद किरदार होने की गवाही दी । ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने अल्लाह पाक की बारगाह में अ़र्ज़ की : या रब्बे करीम ! बनी इसराईल तो इस के बद किरदार होने की गवाही दे रहे हैं कि इस ने अपनी ज़िन्दगी के दो सौ साल तेरी ना फ़रमानी में गुज़ारे हैं । अल्लाह पाक ने ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلَیْہِ السَّلَام की त़रफ़ वह़्य फ़रमाई कि येह ऐसा ही बद किरदार था मगर इस की येह आ़दत थी कि जब कभी तौरात शरीफ़ पढ़ने के लिये खोलता और मुह़म्मद के इस्मे गिरामी की त़रफ़ देखता, तो उस को चूम कर अपनी आंखों से लगा लेता और उन पर दुरूद पढ़ा करता, पस मैं ने इस के इस अ़मल की क़द्र की और इस के गुनाहों को मुआ़फ़ फ़रमा कर इस का निकाह़ सत्तर हू़रों के साथ कर दिया ।

 (حِلیۃ الاولیاء،۴/۴۵،حدیث:۴۶۹۵)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

       मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! इस ईमान अफ़रोज़ ह़िकायत ने अहले ईमान के दिलो दिमाग़ को ख़ुश्बूदार कर दिया । ज़रा सोचिये ! वोह शख़्स जो लम्बे अ़र्से तक गुनाहों में मुब्तला रहा और इस दौरान नेकियों के क़रीब भी न गया लेकिन सिर्फ़ नामे मुस्त़फ़ा की ता'ज़ीम के सबब उसे येह इनआ़म मिला कि ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने अल्लाह पाक के ह़ुक्म पर अ़मल करते हुवे उस के कफ़न दफ़्न का इन्तिज़ाम फ़रमाया, उस के पिछले तमाम गुनाह मुआ़फ़ कर दिये गए और वोह रह़मते इलाही का ह़क़दार ठहरा । ग़ौर कीजिये ! जब ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلَیْہِ السَّلَام का उम्मती नामे मुस्त़फ़ा की ता'ज़ीम के सबब बख़्शिशश व मग़फ़िरत का ह़क़दार हो सकता है, तो फिर उम्मते मुह़म्मदिय्या का वोह फ़र्द जो अपने प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के न सिर्फ़ नाम की ता'ज़ीम करे बल्कि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ात और आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से निस्बत रखने वाली हर चीज़ की ता'ज़ीम को लाज़िम व ज़रूरी जाने, तो फिर उस पर रह़मते इलाही की कैसी छमाछम बारिशें होंगी ! इस रिवायत से येह भी मा'लूम हुवा कि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के नामे मुबारक को ता'ज़ीम की निय्यत से चूमना न सिर्फ़ जाइज़ है बल्कि अल्लाह पाक की रिज़ा ह़ासिल करने का ज़रीआ़ भी है ।

          याद रखिये ! ईमान लाने के बा'द मुस्त़फ़ा जाने रह़मत, शम्ए़ बज़्मे हिदायत, नौशए बज़्मे जन्नत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ता'ज़ीमो तौक़ीर करने की बहुत ही ज़ियादा अहम्मिय्यत है । अ़ज़मते मुस्त़फ़ा की अहम्मिय्यत व ज़रूरत पर कई आयाते