Book Name:Tazeem-e-Mustafa Ma Jashne Milad Ki Barakaten
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صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने जश्ने मीलाद मनाने वाले आ़शिक़ाने मीलाद को अपने मक्तूब (Letter) में कुछ अहम मदनी फूल अ़त़ा फ़रमाए हैं । आइये ! चन्द मदनी फूल हम भी चुनते हैं :
1. चांद रात को इन अल्फ़ाज़ में तीन बार मसाजिद में ए'लान करवाइये : "तमाम आ़शिक़ाने रसूल को मुबारक हो कि रबीउ़ल अव्वल शरीफ़ का चांद नज़र आ गया है ।"
2. तमाम आ़शिक़ाने रसूल ब शुमूल निगरान व ज़िम्मेदारान रबीउ़ल अव्वल शरीफ़ में ख़ुसूसिय्यत के साथ कम अज़ कम तीन दिन के मदनी क़ाफ़िले में सफ़र की सआ़दत ह़ासिल करें और इस्लामी बहनें एक माह तक रोज़ाना घर के अन्दर (सिर्फ़ घर की इस्लामी बहनों और मह़रमों में) मदनी दर्स जारी करें और फिर आइन्दा भी रोज़ाना जारी रखने की निय्यत फ़रमाएं ।
3. अगर झन्डे पर नक़्शे ना'ले पाक या कोई लिखाई हो, तो इस बात का ख़याल रखिये कि न वोह लीरे लीरे हो, न ही ज़मीन पर तशरीफ़ लाए नीज़ जूंही रबीउ़ल अव्वल शरीफ़ का महीना तशरीफ़ ले जाए, फ़ौरन उतार लीजिये, अगर एह़तियात़ नहीं कर पाते और बे अदबी हो जाती है, तो सादा मदनी परचम लहराइये । (सगे मदीना عُفِیَ عَنْہ भी अपने मकाने बे निशान पर सादा मदनी परचम लगवाता है)
4. मक्तबतुल मदीना का शाएअ़ कर्दा पेम्फ़लेट "जश्ने विलादत के 12 मदनी फूल" मुमकिन हो, तो 112 वरना कम अज़ कम 12 अ़दद नीज़ हो सके, तो रिसाला "सुब्ह़े बहारां" 12 अ़दद मक्तबतुल मदीना से हदिय्यतन ह़ासिल कर के तक़्सीम कीजिये । ख़ुसूसन उन तन्ज़ीमों के सरबराहों तक पहुंचाइये जो जश्ने विलादत की धूमें मचाते हैं ।
बारहवीं शब इजतिमाए़ मीलाद में गुज़ार कर ब वक़्ते सुब्ह़े सादिक़ अपने हाथों में मदनी परचम उठाए, दुरूदो सलाम के हार लिये, अश्कबार आंखों से सुब्हे़ बहारां का इस्तिक़्बाल कीजिये, बा'दे नमाजे़ फ़ज्र सलाम व ई़द मुबारक कह कर