Book Name:Tazeem-e-Mustafa Ma Jashne Milad Ki Barakaten
1. एक दूसरे से गर्म जोशी के साथ मुलाक़ात फ़रमाइये और सारा दिन ई़द की मुबारक बाद पेश करते और ई़द मिलते रहिये ।
2. मीठे मीठे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ हर पीर शरीफ़ को रोज़ा रख कर अपना यौमे विलादत मनाते रहे, आप भी यादे मुस्त़फ़ा में 12 रबीउ़ल अव्वल शरीफ़ को रोज़ा रख कर मदनी परचम उठाए जुलूसे मीलाद में शरीक हों, जहां तक मुमकिन हो, बा वुज़ू रहिये, लब पर ना'तों के नग़मे सजाए, दुरूदो सलाम के फूल बरसाते, निगाहें झुकाए, पुर वक़ार त़रीके़ पर चलिये, उछल कूद मचा कर किसी को तन्क़ीद का मौक़अ़ मत दीजिये ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
ता'ज़ियत करने के मदनी फूल
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "नेक बनने का नुस्ख़ा" से ता'ज़ियत करने के मदनी फूल सुनते हैं । पहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये :
- जो किसी मुसीबत ज़दा से ता'ज़ियत करेगा, उस के लिये उस मुसीबत ज़दा जैसा सवाब है । ( ترمذی، کتاب الجنائز ،باب ماجاء فی اجر من عزی مصابا،۲/۳۳۸ ،حدیث: ۱۰۷۵)
- जो बन्दए मोमिन अपने किसी मुसीबत ज़दा भाई की ता'ज़ियत करेगा, अल्लाह पाक क़ियामत के दिन उसे करामत का जोड़ा पहनाएगा ।
( ابن ماجہ، کتاب الجنائز ، باب ماجاء فی ثواب من عزی مصابا،۲/۲۶۸ ، حدیث: ۱۶۰۱)
٭ ता'ज़ियत का मा'ना है : मुसीबत ज़दा आदमी को सब्र की तल्क़ीन करना, ता'ज़ियत मस्नून (या'नी सुन्नत) है । (बहारे शरीअ़त, 1 / 852) ٭ दफ़्न से पहले भी ता'ज़ियत जाइज़ है मगर अफ़्ज़ल येह है कि दफ़्न के बा'द हो, येह उस वक़्त है कि औलियाए मय्यित (या'नी मय्यित के अहले ख़ाना) जज़अ़ व फ़ज़अ़ (या'नी रोना, पीटना) न करते हों, वरना उन की तसल्ली के लिये दफ़्न से पहले ही करे । ( الجوہرۃ النيرۃ، کتاب الصلاۃ، باب الجنائز، ص۱۴۱) ٭ ता'ज़ियत का वक़्त मौत से तीन दिन तक है, इस के बा'द मकरूह है कि ग़म ताज़ा होगा मगर जब ता'ज़ियत करने वाला या जिस की ता'ज़ियत की जाए, वहां मौजूद न हो या मौजूद है मगर उसे इ़ल्म नहीं, तो बा'द में ह़रज नहीं । (جوہرۃ نيرۃ، کتاب الصلاۃ، باب الجنائز، ص۱۴۱) ٭ मुस्तह़ब येह है कि मय्यित के तमाम अक़ारिब (या'नी क़रीबी रिश्तेदारों) से ता'ज़ियत करें, छोटे बड़े, मर्द व औ़रत