Tazeem-e-Mustafa Ma Jashne Milad Ki Barakaten

Book Name:Tazeem-e-Mustafa Ma Jashne Milad Ki Barakaten

हैं, लिहाज़ा जश्ने ई़दे मीलादुन्नबी मनाना भी ता'ज़ीमे मुस्त़फ़ा ही की एक सूरत है । (روح البیان ،ج۹،ص۵۶)

       इमाम सय्यिदुना जलालुद्दीन सुयूत़ी शाफे़ई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मीलादे मुस्त़फ़ा मनाने में आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के मर्तबे की ता'ज़ीम है । (الحاوی للفتاوی ،ج۱، ص ۲۲۲) इसी त़रह़ ह़ज़रते सय्यिदुना मुह़म्मद बिन यूसुफ़ सालेह़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मीलाद मनाने से आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मह़ब्बत और ता'ज़ीम होती है । (سبل الہدی والرشاد،ج۱، ص۳۶۵)

       हमारी ख़ुश नसीबी कि اَلْحَمْدُ لِلّٰہ अ़न क़रीब रबीउ़ल अव्वल का मुबारक महीना हमारे दरमियान जल्वागर होने वाला है । इस रह़मतों वाले महीने के आते ही आ़शिक़ाने रसूल के दिलों में ख़ुशियों की लहर दौड़ जाती है और वोह जश्ने ई़दे मीलादुन्नबी की तय्यारियों में मसरूफ़ हो जाते हैं और क्यूं न हों कि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की आमद पर तो पूरी काइनात ख़ुश हो गई, अ़र्श ख़ुशी से झूम उठा, कुर्सी भी ख़ुशी से इतराने लगी और जिन्नों को आसमान पर जाने से रोक दिया गया, तो वोह एक दूसरे से कहने लगे : "बेशक हमें अपने रास्ते में बड़ी मशक़्क़त का सामना हुवा है" और फ़िरिश्ते इन्तिहाई ख़ुशी से तस्बीह़ ख़्वानी करने लगे, हवाएं झूम झूम कर चलने लगीं और बादलों को ज़ाहिर कर दिया, बाग़ात में टहनियां झुकने लगीं और काइनात के गोशे गोशे से "अह्लंव सह्लन मरह़बा" की सदाएं आने लगी । (الروض الفائق ،ص ۲۴۳) अल ग़रज़ ! आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की तशरीफ़ आवरी सरासर रह़मतों और बरकतों का मम्बअ़ है । चुनान्चे, अस्ह़ाबे फ़ील की हलाकत का वाक़िआ़, फ़ारस के मजूसियों की एक हज़ार साल से जलाई हुई आग का एक लम्ह़े में बुझ जाना, किसरा के मह़ल का ज़लज़ला और उस के चौदह कंगरों का ज़मीन बोस हो जाना, "हमदान" और "क़ुम" के दरमियान छे मील लम्बे छे मील चौड़े "बुह़ैरए सावह" का यकायक बिल्कुल ख़ुश्क हो जाना, हु़ज़ूरे अन्वर, आमिना के दिलबर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की वालिदा के बदने मुबारक से एक ऐसे नूर का निकलना, जिस से बसरा के मह़ल्लात रौशन हो गए । (المواھب اللدنية وشرح الزرقانی،ولادتہ...الخ، ۱/۱۶۷ ،۲۲۱،۲۲۸،۲۲۷)

       येह तमाम वाक़िआ़त उसी सिलसिले की कड़ियां हैं जो हु़ज़ूर सरापा नूर, फै़ज़े गन्जूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की तशरीफ़ आवरी से पहले ही ख़ुश ख़बरी देने वाले बन कर आ़लमे काइनात को येह ख़ुश ख़बरी देने लगे ।

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! याद रखिये ! जश्ने ई़दे मीलादुन्नबी मनाना एक मुबारक काम है, इस के मनाने वालों को अल्लाह करीम की त़रफ़ से बे शुमार दीनी