Aala Hazrat Ka Ishq-e-Rasool

Book Name:Aala Hazrat Ka Ishq-e-Rasool

इस बात से कीजिये कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने न सिर्फ़ अपने दोनों बेटों का नाम बल्कि अपने भतीजों तक  का नाम, नामे अक़्दस पर (या'नी मुह़म्मद) रखा । (मल्फ़ूज़ाते आ'ला ह़ज़रत, स. 73, मुलख़्ख़सन)

        आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की ज़ाते मुबारका, सुन्नते मुस्त़फ़ा की ह़क़ीक़ी मा'ना में आईनादार थी, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का उठना बैठना, खाना पीना, चलना फिरना और बात चीत करना सब सुन्नत के मुत़ाबिक़ होता था । सुन्नतों से मह़ब्बत का येह आ़लम था कि एक बार आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ कहीं दा'वत में शरीक थे, खाना लगा दिया गया, सब को सरकारे आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के खाना शुरूअ़ फ़रमाने का इन्तिज़ार था, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने ककड़ियों के थाल में से एक क़ाश (या'नी फांक) उठाई और तनावुल फ़रमाई फिर दूसरी फिर तीसरी, अब देखा देखी लोगों ने भी ककड़ी (A Type Of Cucumber, जिसे "तर" भी कहते हैं) के थाल की त़रफ़ हाथ बढ़ा दिये मगर आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने सब को रोक दिया और फ़रमाया : सारी ककड़ियां मैं खाऊंगा । चुनान्चे, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने सब ख़त्म कर दीं । ह़ाज़िरीन है़रत ज़दा थे कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ तो बहुत कम ग़िज़ा इस्ति'माल फ़रमाने वाले हैं, आज इतनी सारी ककड़ियां कैसे तनावुल फ़रमा गए ! लोगों के इस्तिफ़्सार पर फ़रमाया : मैं ने जब पहली क़ाश (या'नी फांक) खाई, तो वोह कड़वी थी, इस के बा'द दूसरी और तीसरी भी, लिहाज़ा मैं ने दूसरों को रोक दिया कि हो सकता है कोई साह़िब ककड़ी मुंह में डाल कर कड़वी पा कर थू थू करना शुरूअ़ कर दें, चूंकि ककड़ी खाना मेरे मीठे मीठे आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नते मुबारका है, इस लिये मुझे गवारा न हुवा कि इस को खा कर कोई थू थू करे । (फै़ज़ाने सुन्नत, स. 457)

मुझ को मीठे मुस्त़फ़ा की सुन्नतों से प्यार है

اِنْ شَاءَ اللہ दो जहां में अपना बेड़ा पार है

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के इ़श्क़ ने कड़वी ककड़ी खाना गवारा कर लिया मगर येह गवारा न किया कि कोई शख़्स मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मह़बूब चीज़ ककड़ी खा कर मुंह बिगाड़े या किसी त़रह़ की ना पसन्दीदगी का इज़्हार करे । यक़ीनन येह आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की हु़ज़ूर नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ और उन की सुन्नत से सच्ची मह़ब्बत का मुंह बोलता सुबूत है क्यूंकि जो ताजदारे रिसालत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नत से मह़ब्बत करता है, दर ह़क़ीक़त वोह आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ही से मह़ब्बत करता है । जैसा कि :

        मक्की मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने ह़क़ीक़त बुन्याद  है : مَنْ اَحَبَّ سُنَّتِیْ فَـقَدْ اَحَبَّنِیْ وَ مَنْ اَحَبَّنِیْ کَانَ مَعِیَ فِی الْجَنَّۃِ   जिस ने मेरी सुन्नत से मह़ब्बत की, उस ने मुझ से मह़ब्बत की