Rahmat e Ilahi Ka Mushtaaq Banany Waly Amaal

Book Name:Rahmat e Ilahi Ka Mushtaaq Banany Waly Amaal

का वज़्न किया जाएगा और आंसूओं का एक क़त़रा आग के समुन्दरों को बुझा देता है । (موسوعۃ للامام ابن ابی الدنیا،کتاب الرقۃ والبکاء،۳/۱۷۲،  حدیث۱۴)  

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

(3) क़ुरआने करीम की तिलावत

          रह़मते इलाही का मुस्तह़िक़ बनाने वाला एक अ़मल तिलावते क़ुरआन भी है । क़ुरआने करीम वह़्ये इलाही है, येह अल्लाह पाक का क़ुर्ब पाने का ज़रीआ़ और हिदायत का मजमूआ़ है, येह क़ियामत के दिन अपने पढ़ने वालों की शफ़ाअ़त करेगा, क़ियामत के दिन तिलावत करने वालों को कुछ घबराहट न होगी, न ही उन से ह़िसाबो किताब लिया जाएगा, क़ुरआने पाक की तिलावत अफ़्ज़ल इ़बादत और रह़मतो बरकत के नुज़ूल का ज़रीआ़ है । जैसा कि ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : जिस घर में क़ुरआन पढ़ा जाता है, वोह अपने रेहने वालों पर कुशादा होता है, उस की भलाई कसीर होती है, उस में फ़िरिश्ते ह़ाज़िर होते और शयात़ीन उस से निकल जाते हैं । (इह़याउल उ़लूम (मुतर्जम), जि. 1, स. 826)

          नबिय्ये रह़मत, शफ़ीए़ उम्मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : जो क़ौम अल्लाह पाक के घरों में से किसी एक घर में किताबुल्लाह की तिलावत करने और सीखने, सिखाने के लिए जम्अ़ होती है, तो उन पर सकीना नाज़िल होता है, उन्हें रह़मत ढांप लेती है, मलाइका उन्हें (अपने परों से) छूते हैं और अल्लाह पाक मलाइका के सामने उन का चर्चा फ़रमाता है । (مسلم، کتاب الذکر والدعاء، باب فضل الاجتماع علی تلاوۃ القرآن، رقم ۶۸۵۳،ص ۱۱۱۰)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

(4) मस्जिदों से मह़ब्बत

          रह़मते इलाही का मुस्तह़िक़ बनाने वाला एक अ़मल मसाजिद से मह़ब्बत करना है । ह़दीसे पाक में है : مَنْ اَلِفَ الْمَسْجِدَ اَ لِفَهُ اللهُ जो मस्जिद से मह़ब्बत करता है, अल्लाह पाक उसे अपना मह़बूब बना लेता है । (مجمع الزوائد ، کتا ب الصلوۃ ، باب لزوم المساجد ، ۲/ ۱۳۵، رقم ۲۰۳۱) मस्जिदों में जाने, अल्लाह पाक की इ़बादत करने, ज़िक्रो दुरूद में मश्ग़ूल रेहने से रह़मते इलाही का नुज़ूल होता है । जैसा कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : मस्जिद हर परहेज़गार का घर है और जिस का घर मस्जिद हो, अल्लाह पाक उसे अपनी रह़मत, रिज़ा और पुल सिरात़ से बा ह़िफ़ाज़त गुज़ार कर अपनी रिज़ा वाले घर जन्नत की ज़मानत देता है । (مجمع الزوائد ، کتا ب الصلوۃ ، با ب لزوم المسجد ،رقم ۲۰۲۶ ،ج ۲، ص ۱۳۴) एक रिवायत में है कि जब कोई बन्दा ज़िक्रो नमाज़ के लिए मस्जिद को ठिकाना बना लेता है, तो अल्लाह पाक उस से ऐसे ख़ुश होता है जैसे लोग अपने गुमशुदा शख़्स की अपने हां आमद पर ख़ुश होते हैं । (سنن ابن ماجہ ،کتا ب المساجد والجماعات ،با ب لزوم المساجد، رقم ۸۰۰ ،ج ۱، ص ۴۳۸)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ज़ुल ह़िज्जा के पेहले दस दिनों के फ़ज़ाइल पर मुश्तमिल 5 रिवायात

1.   इरशाद फ़रमाया : अल्लाह करीम के नज़दीक कोई भी दिन अ़शरए ज़ुल ह़िज्जा से ज़ियादा न अ़ज़ीम है और न इन दिनों से बढ़ कर किसी दिन का नेक अ़मल उसे मह़बूब है, लिहाज़ा इन दिनों में