Rahmat e Ilahi Ka Mushtaaq Banany Waly Amaal

Book Name:Rahmat e Ilahi Ka Mushtaaq Banany Waly Amaal

किताबें, त़िब्बी इ़लाज के लिए अदविय्यात वग़ैरा) भी बिला मुआ़वज़ा फ़राहम की जाती हैं । आप भी अपना नाम ख़ुश नसीबों में दाख़िल करवाइए और अपने बच्चों को जामिअ़तुल मदीना में दाख़िल करवाइए । अपने भाइयों, दोस्तों, अ़ज़ीज़ों और दीगर रिश्तेदारों पर इनफ़िरादी कोशिश कीजिए और उन्हें अपने बच्चों को जामिअ़तुल मदीना में दाख़िल करवाने का जे़ह्न दीजिए, इस से जहां हर त़रफ़ इ़ल्मे दीन की रौशनी फैलेगी और जहालत के अन्धेरे दूर होंगे, वहीं आप के लिए भी सदक़ए जारिया का सिलसिला हो जाएगा । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

(4) तकब्बुर के सबब कपड़ा घसीटना

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! तकब्बुर के सबब तेह्बन्द, क़मीस और इ़मामे का कपड़ा घसीटना भी रह़मते इलाही से मह़रूमी का एक सबब है । चुनान्चे, रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का फ़रमाने इ़ब्रत निशान है : इस्बाल (लटकाना) तेह्बन्द, क़मीस और इ़मामे में भी होता है । जो तकब्बुर की वज्ह से इन में से कोई चीज़ घसीटेगा, अल्लाह पाक बरोज़े क़ियामत उस पर नज़रे रह़मत नहीं फ़रमाएगा । (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 102, मुलख़्ख़सन)

          मश्हूर मुफ़स्सिरे क़ुरआन, ह़कीमुल उम्मत, मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : सिर्फ़ नीचा तेह्बन्द ही मक्रूह व ममनूअ़ नहीं बल्कि इ़मामे का शिम्ला, कुर्ते का दामन भी अगर ज़रूरत से ज़ियादा नीचा हो, तो वोह भी ममनूअ़ है और उस पर भी येही वई़द है । मज़ीद फ़रमाते हैं कि इ़मामे का शिम्ला निस्फ़ पीठ तक चाहिए, बाज़ इस से भी नीचे रखते हैं, येह ममनूअ़ है और क़मीस का दामन बाज़ लोग टख़्नों के नीचे रखते हैं (येह भी) ममनूअ़ है । (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 102, मुलख़्ख़सन)

          आला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं कि इज़ार (यानी तेह्बन्द) का गिट्टों (टख़्नों) से नीचे रखना अगर बराए तकब्बुर हो, तो ह़राम है और इस सूरत में नमाज़ मक्रूहे तह़रीमी, वरना सिर्फ़ मक्रूहे तन्ज़ीही और नमाज़ में भी इस की ग़ायत (इन्तिहा) ख़िलाफे़ औला (है) । "सह़ीह़ बुख़ारी शरीफ़" में है, सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ! मेरा तेह्बन्द लटक जाता है, जब तक मैं इस का ख़ास ख़याल न रखूं । फ़रमाया : لَسْتَ مِمَّن یَّصْنَعَہُ خُیَلٓاء तुम उन में नहीं हो जो बराहे तकब्बुर ऐसा करें । (مشکوٰۃ المصابیح،کتاب الادب ،باب ماجآء فی المصافحہ ، ۲/۱۷۱،حدیث: ۴۶۹۳)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

मुसाफ़ह़ा व मुआ़नक़ा की सुन्नतें और आदाब

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आइए ! मुसाफ़ह़ा व मुआ़नक़ा के बारे में चन्द निकात सुनने की सआ़दत ह़ासिल करते हैं । पेहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा मुलाह़ज़ा कीजिए :

1.   एक दूसरे के साथ मुसाफ़ह़ा करो, इस से कीना जाता रेहता है और हदिया भेजो, आपस में मह़ब्बत होगी और दुश्मनी जाती रहेगी (شعب الایمان، باب فی مقاربۃ وموادۃ اہل الدین ،فصل فی المصافحۃ والمعانقۃ ،الحدیث ۸۹۴۴، ج۶، ص۴۷۱)