Book Name:Rahmat e Ilahi Ka Mushtaaq Banany Waly Amaal
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
(3) क़त़्ए़ रेह़मी
अल्लाह पाक की रह़मत से मह़रूमी का एक सबब रिश्तेदारों से क़त़्ए़ रेह़मी (रिश्तेदारी तोड़ना) भी है । लिहाज़ा ख़ुद को रह़मते इलाही का मुस्तह़िक़ और अपने घर और मुआ़शरे को अम्न का गेहवारा बनाने के लिए अपने क़राबतदारों से ह़ुस्ने सुलूक और सिलए रेह़मी की आ़दत बनाइए और जिस क़दर हो सके, क़त़्ए़ तअ़ल्लुक़ी से बचने की कोशिश कीजिए क्यूंकि दीगर गुनाहों का वबाल तो सिर्फ़ गुनाह करने वाले पर ही आता है मगर रिश्तेदारी तोड़ने की नुह़ूसत के सबब पूरी क़ौम रह़मते इलाही से मह़रूम हो जाती है । जैसा कि :
अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ एक मरतबा सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की अह़ादीसे मुबारका बयान फ़रमा रहे थे, इस दौरान फ़रमाया : हर क़त़्ए़ रेह़म (यानी रिश्तेदारी तोड़ने वाला) हमारी मेह़फ़िल से उठ जाए । एक नौजवान उठ कर अपनी फूफी के हां गया जिस से उस का कई साल पुराना झगड़ा था । जब दोनों एक दूसरे से राज़ी हो गए, तो उस नौजवान से फूफी ने कहा : तुम जा कर इस का सबब पूछो, आख़िर ऐसा क्यूं हुवा ? (यानी अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के एलान की क्या ह़िक्मत है ?) नौजवान ने ह़ाज़िर हो कर जब पूछा, तो ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने फ़रमाया कि मैं ने ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم से येह सुना है : जिस क़ौम में क़ात़ेए़ रेह़म (यानी रिश्तेदारी तोड़ने वाला) हो, उस क़ौम पर अल्लाह पाक की रह़मत का नुज़ूल नहीं होता । (اَلزَّواجِرُ عَنِ اقتِرافِ الکبائِر ج۲ ص۱۵۳)
मश्हूर मुफ़स्सिरे क़ुरआन, ह़कीमुल उम्मत, मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : जिस क़ौम में एक शख़्स अपने अ़ज़ीज़ों की ह़क़ तलफ़ी करता हो और दूसरे लोग उस के इसी गुनाह पर मदद करते हों या बा वुजूदे क़ुदरत उसे इस ज़ुल्म से न रोकते हों, तो वोह सब लोग रह़मत से मह़रूम हैं । (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 529) लिहाज़ा हमें चाहिए कि हम अपने रिश्तेदारों के साथ ह़ुस्ने सुलूक और सिलए रेह़मी से पेश आएं और जो रूठे हैं, उन को मना लें और आइन्दा किसी से भी क़त़्ए़ रेह़मी न करें ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! सिलए रेह़मी का जज़्बा पाने, क़त़्ए़ तअ़ल्लुक़ी से बचने, नमाज़ों की पाबन्दी करने और दीगर नेक कामों पर इस्तिक़ामत ह़ासिल करने के लिए दावते इस्लामी के दीनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहिए, اِنْ شَآءَ اللّٰہ दुन्या व आख़िरत की ढेरों भलाइयां ह़ासिल होंगी । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ दावते इस्लामी दुन्या भर में 80 शोबाजात में नेकी की दावत की धूमें मचाने में मसरूफे़ अ़मल है, इन्ही शोबाजात में से एक "जामिअ़तुल मदीना" भी है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मुल्क व बैरूने मुल्क 845 (आठ सौ पैंतालीस) जामिआ़तुल मदीना क़ाइम हैं, जिन में कमो बेश 60733 (साठ हज़ार सात सौ तेंतीस) त़लबा व त़ालिबात दर्से निज़ामी (आ़लिम कोर्स) कर रहे हैं । अब तक की मालूमात के मुत़ाबिक़ तक़रीबन 10856 (दस हज़ार आठ सौ छप्पन) इस्लामी भाई और इस्लामी बहनें इ़ल्म के क़ीमती मोतियों से अपनी झोलियां भर कर सनदे फ़राग़त भी पा चुके हैं ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ जामिआ़तुल मदीना में त़लबए किराम को मुफ़्त (Free) तालीम के साथ साथ क़ियाम व त़आ़म और ज़रूरी सहूलिय्यात (मसलन कम्प्यूटर लेब, मुत़ालए़ के लिए मुनासिब जगह व