Book Name:Rahmat e Ilahi Ka Mushtaaq Banany Waly Amaal
हैं । तो इरशाद फ़रमाया : क्या मैं अल्लाह पाक का शुक्र गुज़ार बन्दा बनना पसन्द न करूं । (بخاری، کتاب التھجد ، باب قیام النبی حتی تر م قدماہ ، ۱/۳۸۴، رقم ۱۱۳۰)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! येह बात वाज़ेह़ हो गई कि हमें नेक आमाल करने के साथ साथ गुनाहों से बचते हुवे अल्लाह पाक की रह़मत से बख़्शिश की उम्मीद भी रखनी चाहिए और उस की ख़ुफ़्या तदबीर से भी हर वक़्त डरते रेहना चाहिए । आइए ! अब चन्द ऐसे नेक आमाल के बारे में सुनते हैं कि जिन की बरकत से बन्दा अल्लाह पाक की रह़मत का ह़क़दार बन जाता है । चुनान्चे,
(1) ज़िक्रुल्लाह करना
रह़मते इलाही का मुस्तह़िक़ बनाने वाला एक अ़मल अल्लाह पाक का ज़िक्र करना भी है । ज़िक्रुल्लाह में दिलों का चैन है, ज़िक्रुल्लाह से बीमारियों और रन्जो ग़म से नजात मिलती है, ज़िक्रुल्लाह से तंगदस्ती दूर होती है और ज़िक्रुल्लाह करने वाला हर वक़्त रह़मते ख़ुदावन्दी के साए में रेहता है ।
फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم है, अल्लाह पाक फ़रमाता है : जब कोई बन्दा मेरा ज़िक्र करता है, तो मैं उस के साथ होता हूं । अगर वोह मुझे तन्हाई में याद करता है, तो मैं भी उसे तन्हा याद करता हूं और अगर वोह मेरा ज़िक्र किसी मजमअ़ (Gathering) में करता है, तो मैं उस से बेहतर मजमअ़ में उस का ज़िक्र करता हूं । अगर वोह एक बालिश्त मुझ से क़रीब होता है, तो मेरी रह़मत उस से एक हाथ क़रीब हो जाती है और अगर वोह एक हाथ मेरे क़रीब आता है, तो मेरी रह़मत उस से दो हाथ क़रीब हो जाती है और अगर वोह मेरे पास चलते हुवे आता है, तो मेरी रह़मत उस के पास दौड़ती हुई आती है । (بخاری، کتاب التو حید ،باب قول اللہ ویحذرکم اللہ نفسہ ،۴ / ۵۴۱، رقم ۷۴۰۵)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
(2) ख़ौफे़ ख़ुदा
रह़मते इलाही का मुस्तह़िक़ बनाने वाला एक अ़मल ख़ौफे़ ख़ुदा भी है । ख़ौफे़ ख़ुदा की बरकत से गुनाहों से बचना आसान हो जाता है, ख़ौफे़ ख़ुदा से फ़िक्रे आख़िरत पैदा होती है, ख़ौफे़ ख़ुदा रखने वाले को दो जन्नतें मिलेंगी, ख़ौफे़ ख़ुदा रखने वाले को सब्ज़ मोतियों का मह़ल अ़त़ा किया जाएगा, ख़ौफे़ ख़ुदा से बेहने वाला आंसू चेहरे के जिस ह़िस्से पर बेहता है, वोह जहन्नम पर ह़राम हो जाता है ।
ह़ज़रते नज़र बिन साद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : किसी की आंख से ख़ौफे़ इलाही से आंसू बेहते हैं, तो अल्लाह पाक उस के चेहरे को जहन्नम पर ह़राम फ़रमा देता है । अगर वोह आंसू उस के रुख़्सार (Cheek) पर बेह जाएं, तो क़ियामत के दिन न वोह ज़लील होगा और न उस पर कोई ज़ुल्म होगा और अगर कोई ग़मगीन शख़्स अल्लाह पाक के ख़ौफ़ से कुछ लोगों के दरमियान में रोए, तो अल्लाह पाक उस के रोने के सबब उन लोगों पर भी रह़्म फ़रमाता है । आंसू के इ़लावा हर अ़मल