Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

Book Name:Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

जनाज़े के आदाब

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइए ! अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرَکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "मुर्दे के सदमे" से जनाज़े के आदाब सुनते हैं । पेहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم मुलाह़ज़ा कीजिए :

1.   जब कोई जन्नती शख़्स फ़ौत हो जाता है, तो अल्लाह पाक ह़या फ़रमाता है कि उन लोगों को अ़ज़ाब दे जो इस का जनाज़ा ले कर चलें, जो इस के पीछे चलें और जिन्हों ने इस की नमाज़े जनाज़ा अदा की (مسندالفِردَوس ،۱/۲۸۲،حدیث ۱۱۰۸)

2.   बन्दए मोमिन को मरने के बाद सब से पेहला बदला येह दिया जाएगा कि उस के जनाज़े में शरीक तमाम लोगों की बख़्शिश कर दी जाएगी ।(ُسندُ البزار،۱۱/ ۸۶، حدیث:۴۷۹۶)

         ٭  जनाज़े में रिज़ाए इलाही, फ़र्ज़ की अदाएगी, मय्यित और उस के अ़ज़ीज़ों की दिलजूई वग़ैरा अच्छी अच्छी निय्यतों से शिर्कत करनी चाहिए । ٭ जनाज़े के साथ जाते हुवे अपने अन्जाम के बारे में सोचते रहिए कि जिस त़रह़ आज इसे ले चले हैं, इसी त़रह़ एक दिन मुझे भी ले जाया जाएगा, जिस त़रह़ इसे मिट्टी तले दफ़्न किया जाने वाला है, इसी त़रह़ मेरी भी तदफ़ीन अ़मल में लाई जाएगी । इस त़रह़ ग़ौरो फ़िक्र करना इ़बादत और सवाब का काम है । ٭ जनाज़े को कन्धा देना सवाब का काम है । ह़दीसे पाक में है : जो जनाज़ा ले कर चालीस क़दम चले, उस के चालीस कबीरा गुनाह मिटा दिए जाएंगे । एक और ह़दीस शरीफ़ में है : जो जनाज़े के चारों पायों को कन्धा दे, अल्लाह पाक उस की मुस्तक़िल मग़फ़िरत फ़रमा देगा । (बहारे शरीअ़त, 1 / 823, جوہرہ،ص۱۳۹، دُرِّمُختار،۳ /۱۵۸،۱۵۹) ٭ सुन्नत येह है कि एक के बाद दूसरा शख़्स चारों पायों को कन्धा दे और हर बार दस दस क़दम चले । पूरी सुन्नत येह है कि पेहले सीधे सिरहाने को कन्धा दे फिर सीधी पाइंती (यानी सीधे पाउं की त़रफ़) फिर उल्टे सिरहाने फिर उल्टी पाइंती और दस दस क़दम चले, तो कुल चालीस क़दम हुवे । (आ़लमगीरी, 1 / 162, बहारे शरीअ़त, 1 / 822) ٭ जनाज़े को कन्धा देते वक़्त जानबूझ कर तक्लीफ़ देने वाले अन्दाज़ में लोगों को धक्के देना जैसा कि बाज़ लोग किसी शख़्सिय्यत के जनाज़े में करते हैं, येह नाजाइज़ व ह़राम और दोज़ख़ में ले जाने वाला काम है । ٭ शौहर अपनी बीवी के जनाज़े को कन्धा भी दे सकता है, क़ब्र में भी उतार सकता है और मुंह भी देख सकता है, सिर्फ़ ग़ुस्ल देने और बिला रुकावट बदन को छूने की मुमानअ़त है । (बहारे शरीअ़त, 1 / 812-813, बि तग़य्युर) ٭ जनाजे़ के साथ बुलन्द आवाज़ से कलिमए त़य्यिबा या कलिमए शहादत या ह़म्दो नात वग़ैरा पढ़ना जाइज़ है । (फ़तावा रज़विय्या, 9 / 139, 158)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد