Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

Book Name:Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

क़ुरआने करीम सीखने की सहूलत नहीं, उन के लिए भी घर बैठे क़ुरआने करीम सीखने के लिए अलग से शोबे क़ाइम है । यक़ीनन दावते इस्लामी का येह उम्मते मह़बूब पर बड़ा एह़सान है । आइए ! मालूमात के लिए 2 शोबों का तआ़रुफ़ सुनते हैं ।

(1) फै़ज़ान ऑनलाइन अकेडमी

          फै़ज़ान ऑनलाइन अकेडमी में क़ारी साह़िबान बच्चों और बड़ों को ब ज़रीआ़ इन्टरनेट क़ुरआने पाक पढ़ाते, सुन्नतें सिखाते और दुआ़एं याद करवाते हैं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ दुन्या के कई मुमालिक में त़लबा जेन्ट्स टीचर्ज़ से और त़ालिबात लेडीज़ टीचर्ज़ से इन्टरनेट के ज़रीए़ क़ुरआने करीम की तालीम ह़ासिल कर रहे हैं ।

(2) मद्रसतुल मदीना बालिग़ान

          मद्रसतुल मदीना बालिग़ान का दौरानिया सिर्फ़ 45 मिनट है, इस में इस्लामी भाइयों को दुरुस्त मख़ारिज के साथ क़ुरआन पढ़ाया जाता, नमाज़, सुन्नतें और दुआ़एं भी याद करवाई जाती हैं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ कई मसाजिद, मार्कीट्स और घरों में भी रोज़ाना की बुन्याद पर मद्रसतुल मदीना बालिग़ान अपनी बरकतें लुटा रहे हैं ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

        प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम क़ुरआने करीम सीखने, सिखाने के बारे में सुन रहे हैं । उ़मूमन बाज़ लोगों को देखा गया है कि उन्हें क़ुरआने करीम पढ़ना तो आता है मगर अफ़्सोस ! इस की तिलावत की सआ़दत से मह़रूम रेहते हैं, ग़िलाफ़ व जुज़्दान में लपेट कर किसी ऊंची जगह या अल्मारी में बरकत के लिए रख लेते हैं, हफ़्तों, महीनों बल्कि सालों गुज़र जाते हैं मगर उन्हें क़ुरआने करीम खोलने की तौफ़ीक़ नसीब नहीं होती । यूंही बाज़ ह़ुफ़्फ़ाज़े किराम भी पूरा साल क़ुरआने करीम नहीं दोहराते । बिलफ़र्ज़ किसी को कोई तरग़ीब दिलाए, तो केहते हैं : भाई ! हमें तो सर खुजाने की फ़ुर्सत नहीं मिलती, आप क़ुरआने पाक पढ़ने की बात करते हैं ! ऑफ़िस से लेट आते हैं, भूक भी लगी होती है, लिहाज़ा थकावट और भूक की वज्ह से क़ुरआने करीम पढ़ने की हिम्मत नहीं होती ! कारोबारी मसरूफ़िय्यात जान नहीं छोड़तीं ! क़ुरआने पाक पढ़ते वक़्त नींद चढ़ती है ! बच्चे पढ़ने नहीं देते ! फ़ुलां फ़ुलां मसरूफ़िय्यात भी हैं वग़ैरा । अल ग़रज़ ! इस त़रह़ के खोख्ले बहानों के ज़रीए़ तिलावते क़ुरआन से जी चुराया जाता है ।

          हम कैसे मुसलमान हैं कि जो रोज़ाना क़ुरआने करीम का एक रूकूअ़ या कम अज़ कम तीन आयात तर्जमए क़ुरआन कन्ज़ुल ईमान व तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान के साथ भी नहीं पढ़ सकते ? ह़ालांकि 72 नेक आमाल में से एक नेक अ़मल येह भी है : क्या आज आप ने कन्ज़ुल ईमान मअ़ ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान या नूरुल इ़रफ़ान से कम अज़ कम तीन आयात तर्जमा व तफ़्सीर के साथ पढ़ीं या सुनीं ? या सिरात़ुल जिनान से कमो बेश दो सफ़ह़ात पढ़ या सुन लिए ?