Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

Book Name:Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

          ज़रा सोचिए ! अख़्बार पढ़ने, फ़ुज़ूल गप्पे लगाने, सारा दिन मोबाइल और सोशल मीडिया इस्तिमाल करने, दोस्तों के लिए, होटलों और चौराहों पर बैठने के लिए और घूमने फिरने वग़ैरा के लिए हमारे पास टाइम है मगर आह ! रब्बे करीम के कलाम को देखने, सुनने और उस की तिलावत के लिए हमारे पास टाइम नहीं ! "तिर्मिज़ी शरीफ़" की ह़दीसे पाक में क़ुरआने करीम सीख कर उस की तिलावत करने और न करने वाले की मिसाल किस अन्दाज़ में बयान हुई है । आइए ! सुनते हैं । चुनान्चे,

तिलावत करने और न करने वाले की मिसाल

          सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان को क़ुरआने करीम सिखाने वाले, उम्मत को क़ुरआने करीम समझाने वाले नबी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का फ़रमाने आ़लीशान है : क़ुरआने पाक सीखो और उस की तिलावत करो क्यूंकि क़ुरआने पाक की मिसाल ऐसे शख़्स के लिए जो उसे सीखता है फिर उस की तिलावत करता है और उसे नमाज़ में पढ़ता है, कस्तूरी से भरे हुवे उस थैले (Bag) की त़रह़ है जिस की ख़ुश्बू हर त़रफ़ मेहकती है और जो शख़्स क़ुरआने करीम सीखे मगर तिलावत न करे, तो उस की मिसाल कस्तूरी के उस थैले की त़रह़ है जिस का मुंह बांध दिया गया हो । (ترمذی،کتاب فضائل القرآن،باب ما جاء فی سورة البقرۃ...الخ، ۴/۴۰۱ ، حدیث:۲۸۸۵)

          बहर ह़ाल हमें चाहिए कि हम फ़ुज़ूल कामों से मुंह मोड़ें, सुस्ती व काहिली को छोड़ें और क़ुरआने करीम से रिश्ता जोड़ें । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ क़ुरआने करीम की तिलावत करने वालों के क्या केहने कि क़ुरआने करीम में उन की तारीफ़ो तौसीफ़ बयान हुई है । चुनान्चे,

तिलावते क़ुरआन करने वालों की तारीफ़

पारह 1, सूरतुल बक़रह की आयत नम्बर 121 में इरशादे रब्बानी है :

اَلَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَتْلُوْنَهٗ حَقَّ تِلَاوَتِهٖؕ-اُولٰٓىٕكَ یُؤْمِنُوْنَ بِهٖؕ-وَ مَنْ یَّكْفُرْ بِهٖ فَاُولٰٓىٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ۠(۱۲۱))  پ ۱،البقرۃ: ۱۲۱(

 

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : वोह लोग जिन्हें हम ने किताब दी है, तो वोह उस की तिलावत करते हैं जैसा तिलावत करने का ह़क़ है, येही लोग उस पर ईमान रखते हैं और जो उस का इन्कार करें, तो वोही नुक़्सान उठाने वाले हैं ।

        ह़ज़रते क़तादा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से मरवी है : इस आयत में (پ ۱،البقرۃ: ۱۲۱)   اُولٰٓىٕكَ یُؤْمِنُوْنَ بِهٖؕ (तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : येही लोग उस पर ईमान रखते हैं) से मुराद रसूले अ़रबी, मक्की मदनी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के वोह अस्ह़ाब عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان हैं जो अल्लाह करीम की आयात पर ईमान लाए और उन की तस्दीक़ की । (تفسیر در منثور ، پ ۱،البقرۃ،تحت الآیۃ:۱۲۱، ۱/ ۲۷۳)