Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

Book Name:Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

इमाम मालिक की कसरते तिलावत

          ह़ज़रते ख़ालिद बिन नज़्ज़ार बयान करते हैं : मैं ने इमाम मालिक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से बढ़ कर किताबुल्लाह का पढ़ने वाला नहीं देखा । आप की बहन से पूछा गया : इमाम मालिक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की घर में क्या मसरूफ़िय्यत होती है ? फ़रमाया : اَلْمُصْحَفُ وَالتِّلَاوَۃُ क़ुरआने करीम और तिलावत । (تھذیب الاسما واللغات، ۲/۳۸۵)

इमाम शाफ़ेई़ की कसरते तिलावत

ह़ज़रते रबीअ़ बिन सुलैमान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बयान करते हैं : हर महीने (Every Month) इमाम शाफ़ेई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ 30 और रमज़ानुल मुबारक में 60 ख़त्मे क़ुरआन फ़रमाते जबकि तरावीह़ का ख़त्म इस के इ़लावा होता था (مناقب الامام شافعی لابن کثیر،ص ۲۱۱)

इमाम अह़मद बिन ह़म्बल की कसरते तिलावत

          इमाम शारानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ लिखते हैं : इमाम अह़मद बिन ह़म्बल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ हर दिन और रात में एक ख़त्मे क़ुरआन फ़रमाते थे और इसे लोगों से पोशीदा रखते । (مناقب الامام شافعی لابن کثیر،ص ۲۱۱)

ग़ौसे पाक की कसरते तिलावत

          ह़ुज़ूर ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ पन्द्रह साल तक रोज़ाना रात में एक क़ुरआने पाक ख़त्म फ़रमाते रहे । (بہجۃالاسرار،ذکرفصول من کلامہ...الخ،ص ۱۱۸ مفهوما)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! आप ने सुना कि हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِم को क़ुरआने करीम से किस क़दर लगाव था । तिलावते क़ुरआने पाक उन की ज़िन्दगी का अहम मश्ग़ला था, रोज़ाना तिलावते क़ुरआन करना उन का अहम मामूल था, तिलावते क़ुरआन उन की रूह़ानी ग़िज़ा थी, जिस्मानी ग़िज़ा छोड़ना उन्हें मन्ज़ूर था मगर तिलावत के ज़रीए़ मिलने वाली रूह़ानी ग़िज़ा का नाग़ा मन्ज़ूर न था, अल ग़रज़ ! क़ुरआने पाक से उन का रूह़ानी तअ़ल्लुक़ ऐसा मज़बूत़ था जो कसीर मसरूफ़िय्यात के बा वुजूद क़ाइम रेहता । लिहाज़ा हमें चाहिए कि न सिर्फ़ हम ख़ुद तिलावते क़ुरआन की बरकतें लूटें बल्कि अपने बच्चों और बच्चियों को भी मद्रसतुल मदीना में दाख़िल करवा कर उन्हें भी तिलावते क़ुरआन का शैदाई बनाएं । तिलावते क़ुरआन के फ़ज़ाइल के बारे में मज़ीद मालूमात (Information) के लिए अमीरे अहले सुन्नत के रिसाले "तिलावत की फ़ज़ीलत" का मुत़ालआ़ फ़रमाइए ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد