Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

Book Name:Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

        मालूम हुवा ! क़ुरआने पाक की तिलावत करना ईमान वालों का ह़िस्सा और इन्ही का ख़ास्सा है । इसी त़रह़ अह़ादीसे मुबारका में भी तिलावते क़ुरआने करीम के बे शुमार फ़ज़ाइल मौजूद हैं । आइए ! तिलावते क़ुरआन के फ़ज़ाइल पर मुश्तमिल 4 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم सुनिए । चुनान्चे,

तिलावत के फ़ज़ाइल पर मुश्तमिल 4 फ़रामीने मुस्त़फ़ा

1.   इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स किताबुल्लाह का एक ह़र्फ़ पढ़ेगा, उस को एक नेकी मिलेगी, जो दस के बराबर होगी । मैं येह नहीं केहता الٓمّٓ एक ह़र्फ़ है बल्कि अलिफ़ एक ह़र्फ़, लाम एक ह़र्फ़ और मीम एक ह़र्फ़ है । (ترمذی،کتاب فضائل القران،باب ماجاء من قرء...الخ،۴ /۴۱۷،حدیث:۲۹۱۹)

2.   इरशाद फ़रमाया : बेशक लोगों में से कुछ अल्लाह वाले हैं । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह ! वोह कौन लोग हैं ? फ़रमाया : क़ुरआने करीम पढ़ने वाले कि येही लोग अल्लाह वाले और ख़वास में शामिल हैं । (بن ماجہ،کتاب السنۃ، باب فضل من تعلم القرآن وعلمہ،۱/۱۴۰،حدیث: ۲۱۵)

3.   इरशाद फ़रमाया : दिलों को भी ज़ंग लग जाता है, जिस त़रह़ लोहे को जंग लग जाता है । अ़र्ज़ की गई : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ! इस की सफ़ाई किस चीज़ से होगी ? इरशाद फ़रमाया : तिलावते क़ुरआन और मौत की याद से ।  (شعب الایمان،باب فی تعظیم القرآن ،۲/۳۵۳،حدیث:۲۰۱۴)

4.   इरशाद फ़रमाया : गाने वाली लौन्डी का मालिक जितनी तवज्जोह से उसे सुनता है, अल्लाह करीम इस से ज़ियादा तवज्जोह क़ुरआन पढ़ने वाले की त़रफ़ फ़रमाता है। (ماجہ،کتاب اقامۃ الصلاۃ ...الخ، باب فی حسن الصوت بالقرآن،۲/۱۳۱،حدیث:(۱۳۴۰

          سُبْحٰنَ اللہ ! आप ने सुना कि तिलावते क़ुरआन करने वालों के फ़ज़ाइल क़ुरआने करीम और अह़ादीसे त़य्यिबा में बयान हुवे हैं, लिहाज़ा अब तो हमें अपनी आ़दत को तब्दील करना चाहिए, क़ुरआने करीम को मज़बूत़ी से थाम लेना चाहिए, रोज़ाना कुछ न कुछ तिलावत का मामूल बनाने का पक्का इरादा कर लेना चाहिए और अल्लाह वालों के नक़्शे क़दम पर चल लेना चाहिए । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! अल्लाह वालों की शान येह है कि येह ह़ज़रात लाख मसरूफ़िय्यात के बा वुजूद भी इस क़दर कसरत से तिलावते क़ुरआन करते हैं कि सुन कर अ़क़्लें ह़ैरान रेह जाती हैं । आइए ! तरग़ीब के लिए चन्द बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِم के वाक़िआ़त सुनते हैं । चुनान्चे,

इमामे आज़म रोज़ाना ख़त्मे क़ुरआन करते

          इमामे आज़म अबू ह़नीफ़ा رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ तीस साल तक एक रक्अ़त में मुकम्मल (Complete) क़ुरआन शरीफ़ पढ़ते रहे । आप ने इ़शा के वुज़ू से नमाज़े फ़ज्र चालीस साल तक अदा फ़रमाई । (الخیرات الحسان ،ص۱۱۷ملتقطا)