Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

Book Name:Quran Sekhne Sekhane Kay Fazail

        प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! उ़मूमन आज दुन्यावी उ़लूमो फ़ुनून सीखने, सिखाने का रुजह़ान जुनून की ह़द तक ज़ोर पकड़ता जा रहा है, हर त़रफ़ इसी की पज़ीराई हो रही है । मुख़्तलिफ़ ज़बानों पर उ़बूर ह़ासिल करने के लिए मुसल्सल भाग दौड़ जारी है, बाज़ लोग वक़्तन फ़ वक़्तन मुख़्तलिफ़ कम्प्यूटर कोर्सिज़ करते रेहते हैं, इन्जीनियरिंग कोर्सिज़ करते हैं, मुख़्तलिफ़ उ़लूमो फ़ुनून की डिग्रियां जम्अ़ करते हैं, इन तमाम कामों के लिए भारी फ़ीसें भरते हैं, कम्प्यूटर और भारी मशीनों वग़ैरा से मुतअ़ल्लिक़ पेचीदा मसाइल ह़ल करने में मास्टर होते हैं, अंग्रेज़ी ऐसी बोलते हैं कि दूसरों को सिखा दें वग़ैरा लेकिन अफ़्सोस ! वोह क़ुरआने करीम जिस को सीखने वाले के मुतअ़ल्लिक़ "बुख़ारी शरीफ़" की एक ह़दीसे पाक है : خَيْرُكُمْ مَنْ تَعَلَّمَ الْقُرْاٰنَ وَعَلَّمَہٗ तुम में बेहतर वोह है जो क़ुरआने करीम सीखे और सिखाए । (بخاری،کتاب فضائل القرآن،باب خیرکم من تعلم القرآن وعلمه،۳/ ۴۱۰،حدیث: ۵۰۲۷)

          जिस क़ुरआन को सीखने के लिए सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان और बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِم दिन रात कोशिशें करते रहे, उसी क़ुरआने करीम को सीखने के लिए आज मुसलमान ग़ाफ़िल दिखाई देते हैं । याद रखिए ! दुन्यावी उ़लूम का सीखना फ़र्ज़ो वाजिब नहीं, अलबत्ता दुरुस्त क़वाइ़दो मख़ारिज के साथ क़ुरआने करीम सीखना बहुत ज़रूरी है । जैसा कि :

कितनी तज्वीद सीखना फ़र्ज़ है ?

          आला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : बिला शुबा इतनी तज्वीद जिस से तस्ह़ीह़े ह़ुरूफ़ हो (यानी क़वाइ़दे तज्वीद के मुत़ाबिक़ ह़ुरूफ़ को दुरुस्त मख़ारिज से अदा कर सके) और ग़लत़ ख़्वानी (यानी ग़लत़ पढ़ने) से बचे "फ़र्जे़ ऐ़न" है । (फ़तावा रज़विय्या, 6 / 343)

          लेकिन अफ़्सोस ! मुसलमानों की अक्सरिय्यत का तो अब ह़ाल येह है कि उन्हें दुरुस्त क़वाइ़दो मख़ारिज के साथ बिस्मिल्लाह शरीफ़ और सूरए फ़ातिह़ा भी पढ़नी नहीं आती । ज़रा सोचिए ! अगर हम क़ुरआन पढ़ना नहीं सीखेंगे, तो कौन सीखेगा ? हमारी नमाज़ कैसे दुरुस्त होगी ? हम क़ुरआने करीम के पैग़ाम को किस त़रह़ समझ पाएंगे ? क़ुरआने करीम की बरकात कैसे समेटेंगे ? क़ुरआने करीम की अहमिय्यत को कैसे समझेंगे ? हमारे दिलों की सियाही कैसे दूर होगी ? क़ुरआने करीम के अह़काम पर क्यूंकर अ़मल कर सकेंगे ? हमारे घरवाले, हमारे बच्चे, बच्चियां किस त़रह़ क़ुरआने करीम की तालीम ह़ासिल करेंगे ? हमारे दिलों की वीरानी किस त़रह़ दूर होगी ? हमारे घरों, दुकानों और कारख़ानों वग़ैरा में बरकात का नुज़ूल कैसे होगा ? ह़ालांकि पेहले के मुक़ाबले में क़ुरआने करीम को सीखना इन्तिहाई आसान होता जा रहा है ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की दीनी तह़रीक दावते इस्लामी ने उम्मत की आसानी और हर उ़म्र से तअ़ल्लुक़ रखने वालों के लिए क़ुरआने करीम सीखने के तअ़ल्लुक़ से कई शोबे क़ाइम किए हैं, इन में कारोबारी ह़ज़रात की मसरूफ़िय्यात को भी मद्दे नज़र रखा गया है ताकि हर शख़्स अपनी सहूलत के ह़िसाब से आसानी से क़ुरआने करीम सीख सके । बिलफ़र्ज़ किसी के यहां दूर दूर तक