Andheri Qabar

Book Name:Andheri Qabar

ह़ज़रते अ़ल्लामा जलालुद्दीन सुयूत़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं, ह़ज़रते उ़बैद बिन उ़मैर رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से रिवायत है : क़ब्र मुर्दे से केहती है : अगर तू अपनी ज़िन्दगी में अल्लाह पाक का फ़रमां बरदार था, तो आज मैं तुझ पर रह़मत करूंगी और अगर तू अपनी ज़िन्दगी में अल्लाह पाक का ना फ़रमान था, तो मैं तेरे लिए अ़ज़ाब हूं । मैं वोह घर हूं जो मुझ में नेक और इत़ाअ़त गुज़ार हो कर दाख़िल हुवा, वोह मुझ से ख़ुश हो कर निकलेगा और जो ना फ़रमान व गुनहगार था, वोह मुझ से तबाह ह़ाल हो कर निकलेगा । (شرح الصدور، باب مخاطبۃ القبر للمیت،ص ۱۱۴)

ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! सोचिए तो सही ! उस वक़्त जबकि हम क़ब्र में तन्हा रेह गए होंगे, घबराहट त़ारी होगी, न कहीं जा सकते होंगे, न किसी को बुला सकते होंगे और भाग निकलने की भी कोई सूरत न होगी, उस वक़्त क़ब्र की कलेजा फाड़ पुकार सुन कर क्या गुज़रेगी !

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

हमारी क़ब्र में क्या होगा ?

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! ग़ैब बताने वाले नबी, रसूले अ़रबी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का फ़रमाने आ़लीशान है : क़ब्र या तो जन्नत के बाग़ों में से एक बाग़ है या जहन्नम के गढ़ों में से एक गढ़ा है (ترمذی، کتاب صفۃ القیامۃ، باب ۴، ۲۶/۲۰۸، حدیث:۲۴۶۸)

          प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमारे लिए येह बात क़ाबिले ग़ौर है कि रात के वक़्त कोई अ़जीब आवाज़ सुनने का मौक़अ़ मिले, तो हमें बेचैनी होने लगती है, कुछ देर के लिए लाइट चली जाए और अन्धेरा हो जाए, तो बे सुकून हो जाते हैं, अन्धेरे में बिल्ली के बोलने और कुत्तों के भोंकने की आवाज़ें हमें परेशान कर देती हैं, लाल बेग और बिच्छू देख कर जिस्म में सरसराहट होने लगती है गोया सांस लेना ही मुश्किल हो जाता है । ग़ौर कीजिए ! अगर हमारी बद अ़मली की वज्ह से येही चीज़ें क़ब्र में आ कर हमें डराने लगें, तो हम किस से फ़रयाद करेंगे ? उस वक़्त हमारा क्या बनेगा ? ह़ज़रते अ़ल्लामा जलालुद्दीन सुयूत़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ नक़्ल फ़रमाते हैं : जब इन्सान क़ब्र में दाख़िल होता है, तो वोह तमाम चीज़ें उस को डराने के लिए आ जाती हैं, जिन से वोह दुन्या में तो डरता था और अल्लाह पाक से न डरता था ।  (شرح الصدور، باب ضمۃ القبر لکل احد، ص۱۱۲)

          प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमें चाहिए कि अपने अन्दर ख़ौफ़े ख़ुदा पैदा करने की कोशिश करें । इस का एक त़रीक़ा येह भी है कि हम आ़शिक़ाने रसूल की दीनी तह़रीक दावते इस्लामी के दीनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाएं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ दीनी माह़ोल की बरकत से बे शुमार लोग गुनाहों भरी ज़िन्दगी छोड़ कर नेकियां करने वाले बन गए । अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرَکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने हमें इस पुर फ़ितन दौर में आसानी से नेकियां करने और गुनाहों से बचने के त़रीक़ों पर मुश्तमिल "नेक आमाल" सुवाल जवाब की सूरत में अ़त़ा फ़रमाए हैं । आप ने मुसलमानों की दुन्या व आख़िरत बेहतर बनाने के लिए सुवाल नामे की सूरत में इस्लामी भाइयों के लिए 72, इस्लामी बहनों के लिए 63, दिनी त़लबए किराम के लिए 92, दीनी