Book Name:Tabarukat Ki Barakaat
(Dirty) हो जाता था, तो उसे आग में डाल देते, मैल जल जाता, कपड़ा मह़फ़ूज़ रहता था । (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 81, मुल्तक़त़न व मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबा व अहले बैत ! मालूम हुवा ! सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان का येह अ़क़ीदा था कि रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के तबर्रुकात में बरकतें ही बरकतें हैं । हमें भी येही अ़क़ीदा रखना चाहिये और बुज़ुर्गों से मन्सूब तबर्रुकात मसलन उन के लिबास, इस्तिमाल की चीज़ें, रहने की जगहें, इ़बादत करने के मक़ामात, अल ग़रज़ ! उन से निस्बत रखने वाली कोई भी चीज़ हो, हमें उस का अदब और एह़तिराम करना चाहिये ।
इस में कुछ शक नहीं कि नेक लोगों के तबर्रुकात की बरकतों से शिफ़ाएं मिलती हैं, नेक लोगों के तबर्रुकात की बरकतों से फै़ज़ पाना अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام का त़रीक़ा है । नेक लोगों के तबर्रुकात की बरकतों से रिज़्क़ में कुशादगी होती है, नेक लोगों के तबर्रुकात की बरकतों से सुकून मिलता है, तबर्रुकात की बरकतों से फै़ज़ पाना सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان का त़रीक़ा रहा है, नेक लोगों के तबर्रुकात की बरकतों से दुन्या व आख़िरत की परेशानियां दूर होती हैं, नेक लोगों के तबर्रुकात की बरकतों से दुआ़एं क़बूल होती हैं, नेक लोगों के तबर्रुकात की बरकतों से बीमारियां टलती हैं, नेक लोगों के तबर्रुकात की बरकतों से गुनाहों की बख़्शिश हो जाती है और नेक लोगों के तबर्रुकात के अदबो एह़तिराम की वज्ह से सीधी राह से भटके हुवे लोग हिदायत पा जाते हैं ।
इस में कोई शक नहीं कि तबर्रुकात की ज़ियारत से दिलों को चैन मिलता है, तबर्रुकात की ज़ियारत से आंखों को ठन्डक नसीब होती है, तबर्रुकात की ज़ियारत के वक़्त दुआ़ के क़बूल होने के इमकान (Chance) बढ़ जाते हैं, तबर्रुकात की ज़ियारत से अल्लाह पाक की रह़मतें नसीब होती हैं, तबर्रुकात की ज़ियारत से गुनाहों से बेज़ारी व नफ़रत का ज़ेहन बनता है, तबर्रुकात की ज़ियारत से ज़ेह्नी सुकून मिलता है, तबर्रुकात की ज़ियारत से ज़बान पर ज़िक्रुल्लाह जारी हो जाता है, तबर्रुकात की ज़ियारत से नेकियां करने का जज़्बा मिलता है । आइये ! इसी तअ़ल्लुक़ से एक ह़िकायत सुनते हैं । चुनान्चे,
तबर्रुक के अदब की बरकतें
ह़ज़रते अबू अ़ली रूज़बारी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की बहन, फ़ात़िमा बिन्ते अह़मद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہَا फ़रमाती हैं : शहरे बग़दाद में कुछ नौजवानों ने अपने में से एक को किसी ज़रूरत से भेजा, उस ने वापस आने में ताख़ीर कर दी, येह लोग ग़ुस्सा करने लगे, इतने में वोह एक ख़रबूज़ा (Melon) लिये हंसता हुवा पहुंचा । नौजवानों ने पूछा : एक तो तू देर से आ रहा है, इस पर हंसता भी है ? लड़के ने कहा : मैं आप लोगों के लिये एक अ़जीब चीज़ लाया हूं । सब ने पूछा : वोह क्या ? लड़के ने अपने हाथ का ख़रबूज़ा उन्हें पेश किया और कहा : इस ख़रबूज़े