Fikr-e-Akhirat

Book Name:Fikr-e-Akhirat

चुराते हैं, ह़त्ता कि बाज़ लोग फ़र्ज़ होने के बा वुजूद ज़कात की अदाएगी भी नहीं करते, दौलत में इज़ाफे़ के लिये मुख़्तलिफ़ त़रीके़ तो अपनाए जाते हैं मगर नेकियों में इज़ाफे़ के मुआ़मले में सुस्ती से काम लेते हैं ।

          याद रखिये ! अभी वक़्त है ! ग़फ़्लत से जाग कर फ़ौरन तौबा कर लीजिये, कहीं ऐसा न हो कि मौत अचानक रौशनियों से जगमगाते कमरे में नर्म बिस्तर से उठा कर कीड़े मकोड़ों से भरी अन्धेरी क़ब्र में सुला दे और फिर चिल्लाते रह जाएं कि ऐ मालिक ! मुझे दोबारा दुन्या में भेज दे, वहां जा कर तेरी ख़ूब इ़बादत करूंगा, अपना सारा माल तेरी राह में लुटा दूंगा, पांचों नमाज़ें जमाअ़त से मस्जिद की पहली सफ़ में तक्बीरे ऊला के साथ अदा करूंगा वग़ैरा । मगर उस वक़्त की चींख़ो पुकार उसे कोई फ़ाइदा न देगी, लिहाज़ा अ़क़्लमन्दी इसी में है कि अपनी ज़िन्दगी शरीअ़त के मुत़ाबिक़ गुज़ारें, हर छोटे बड़े गुनाह से ख़ुद भी बचें और दूसरों को भी बचाते रहें, ख़ुद भी नेकियां करें और दूसरों को भी नेकियों की तरग़ीब दिलाते रहें, फ़िक्रे आख़िरत का जज़्बा बढ़ाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता रह कर ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में ह़िस्सा लेते रहें और अपने अ़लाके़ में इन मदनी कामों की धूमें मचाते रहें ।

12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा"

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मदनी मुज़ाकरा" भी है । ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मदनी मुज़ाकरे देखते, सुनते रहने की बरकत से शरई़ मुआ़मलात में एह़तियात़ करने का ज़ेहन नसीब होता है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से आ़शिक़ाने रसूल की सोह़बत मुयस्सर आती है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से अ़मल का जज़्बा बढ़ता है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से गुनाहों से नफ़रत पैदा होती है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल में इस्तिक़ामत नसीब होती है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी कामों के बारे में मालूमात मिलती है । ٭ मदनी मुज़ाकरा इ़ल्मे दीन की तरक़्क़ी का बाइ़स है । ٭ मदनी मुज़ाकरा, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की ज़िन्दगी के सैंक्ड़ों बल्कि हज़ारों तजरिबात से तरबिय्यत ह़ासिल करने का बेहतरीन ज़रीआ़ है । ٭ मदनी मुज़ाकरे में दीनी मालूमात मिलने के साथ साथ अख़्लाक़ी तरबिय्यत भी होती है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से किये गए मुख़्तलिफ़ सुवालात के दिलचस्प जवाबात की सूरत में इ़ल्मे दीन ह़ासिल होता है और इ़ल्मे दीन की फ़ज़ीलत के भी क्या कहने कि :

एक हज़ार नवाफ़िल से अफ़्ज़ल

          ह़ज़रते अबू ज़र ग़िफ़ारी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं, ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मुझ से इरशाद फ़रमाया : ऐ अबू ज़र ! तुम्हारा इस ह़ाल में सुब्ह़ करना कि तुम ने अल्लाह करीम की किताब से एक आयत सीखी हो, येह तुम्हारे लिये सौ रक्अ़तें नफ़्ल पढ़ने से बेहतर है