Book Name:Fikr-e-Akhirat
शोबाजात में सुन्नतों की धूमें मचा रही है, जिन में से एक शोबा "मजलिसे मदनी मुज़ाकरा" भी है ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने "इ़ल्म बे शुमार ख़ज़ानों का मजमूआ़ है, जिन के ह़ुसूल का ज़रीआ़ सुवाल है" के क़ौल को अ़मली जामा पहनाते हुवे सुवाल व जवाब का एक सिलसिला शुरूअ़ फ़रमाया है, जिसे दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल में "मदनी मुज़ाकरा" कहा जाता है । आ़शिक़ाने रसूल मदनी मुज़ाकरों में अ़क़ाइदो आमाल, फ़ज़ाइलो मनाक़िब, शरीअ़तो त़रीक़त, तारीख़ व सीरत, साइन्स व त़िब्ब, अख़्लाक़ियात व इस्लामी मालूमात, मुआ़शी व मुआ़शरती व तन्ज़ीमी मुआ़मलात और दीगर बहुत से मौज़ूआ़त (Topics) के बारे में मुख़्तलिफ़ सुवालात करते हैं और अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ उन्हें ह़िक्मत से भरपूर और इ़श्के़ रसूल में डूबे हुवे जवाबात से नवाज़ते हैं ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मजलिसे मदनी मुज़ाकरा के तह़त अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के इन अ़त़ा कर्दा दिलचस्प और इ़ल्मो ह़िक्मत से भरपूर मदनी फूलों की ख़ुश्बू से दुन्या भर के मुसलमानों को महकाने के लिये इन मदनी मुज़ाकरों को तह़रीरी रिसालों और मेमोरी कार्ड्ज़ (Memory Cards)की सूरत में पेश करने की कोशिशें जारी हैं । अल्लाह करीम "मजलिसे मदनी मुज़ाकरा" को मज़ीद बरकतें अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइये ! अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "ग़फ़्लत" से अक़ीके़ की चन्द सुन्नतें और आदाब सुनते हैं ।
फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : लड़का अपने अ़क़ीके़ में गिरवी है, सातवें दिन उस की त़रफ़ से जानवर ज़ब्ह़ किया जाए, उस का नाम रखा जाए और सर मूंडा जाए । (تِرمِذی،۳/۱۷۷، حدیث:۱۵۲۷) ٭ गिरवी होने का मत़लब येह है कि उस से पूरा नफ़्अ़ (फ़ाइदा) ह़ासिल न होगा जब तक अ़क़ीक़ा न किया जाए और बाज़ (मुह़द्दिसीन) ने कहा : बच्चे की सलामती और उस की नशो नुमा (फलना फूलना) और उस में अच्छे औसाफ (यानी उ़म्दा ख़ूबियां) होना, अ़क़ीके़ के साथ वाबस्ता हैं । (बहारे शरीअ़त, 3 / 354) ٭ बच्चा पैदा होने के शुक्रिये में जो जानवर ज़ब्ह़ किया जाता है, उस को "अ़क़ीक़ा" कहते हैं । (बहारे शरीअ़त, 3 / 355) ٭ लड़के के अ़क़ीके़ में दो बकरे और लड़की में एक बकरी ज़ब्ह़ की जाए, यानी लड़के में नर जानवर और लड़की में मादा मुनासिब है और लड़के के अ़क़ीके़ में बकरियां और लड़की में बकरा किया, जब भी ह़रज नहीं । (बहारे शरीअ़त, 3 / 357) ٭ क़ुरबानी के ऊंट वग़ैरा में