Book Name:Fikr-e-Akhirat
है कि हमारी मौत कब आएगी ? येह रात हमारी ज़िन्दगी की आख़िरी रात तो नहीं ? हमारे पास तो इस की भी गारन्टी नहीं कि एक के बाद दूसरा सांस भी ले पाएंगे या नहीं ? मुमकिन है जो सांस हम ले रहे हैं वोही आख़िरी हो, दूसरा सांस लेने की नौबत ही न आए । आए दिन येह ख़बरें हमें सुनने को मिलती हैं कि फ़ुलां शख़्स बिल्कुल ठीक ठाक था, उसे ब ज़ाहिर कोई बड़ी बीमारी भी नहीं थी लेकिन अचानक हार्ट फे़ल हुवा और फिर देखते ही देखते अचानक मौत का शिकार हो कर अन्धेरी क़ब्र में जा पहुंचा । आइये ! अपने आप को ग़फ़्लत से जगाने के लिये 2 सबक़ आमोज़ वाक़िआ़त सुनिये और गुनाहों से तौबा कर के आख़िरत की तय्यारी में मश्ग़ूल हो जाइये । चुनान्चे,
मन्क़ूल है : एक शख़्स ने सैलाब (Flood) आने की जगह अपना घर बना रखा था । जब उस से कहा गया कि येह बहुत ख़त़रनाक जगह है, यहां से हट जाओ । तो उस ने कहा : मुझे मालूम है कि येह जगह ख़त़रनाक है लेकिन इस की ख़ूब सूरती ने मुझे तअ़ज्जुब में डाल दिया है । उस से कहा गया : तमाम रौनके़ं और ख़ूब सूरतियां ज़िन्दगी के साथ हैं, लिहाज़ा अपनी जान की ह़िफ़ाज़त कर, अपने आप को ख़त़रे में न डाल । उस ने कहा : मैं येह जगह हरगिज़ नहीं छोड़ूंगा । फिर एक रात नींद की ह़ालत में उसे सैलाब ने आ लिया, यूं वोह सैलाब में ग़र्क़ हो कर मौत के घाट उतर गया । (उ़यूनुल ह़िकायात, स. 446, मुलख़्ख़सन)
मुस्तक़्बिल के अरमान ख़ाक में मिल गए
मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के मेडीकल कॉलेज का एक ज़हीन तरीन त़ालिबे इ़ल्म अपने दोस्त के हमराह पिकनिक मनाने चला, पिकनिक प्वॉइन्ट पर पहुंच कर उस का दोस्त नदी में तैरने के लिये उतरा मगर डूबने लगा, मुस्तक़्बिल के डॉक्टर ने उस को बचाने की ग़रज़ से जज़्बात में आ कर पानी में छलांग लगा दी, अब वोह तैरना तो जानता नहीं था, लिहाज़ा ख़ुद भी फंस गया । क़िस्मत की बात कि उस का दोस्त तो जैसे तैसे कर के निकलने में कामयाब हो गया मगर आह ! मुस्तक़्बिल का डॉक्टर बेचारा डूब कर मौत के घाट उतर गया । कोहराम मच गया, मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा पानी की मौजों की नज़्र हो गया, मां-बाप के सुहाने सपने पूरे न हो सके और वोह बेचारा ज़हीन त़ालिबे इ़ल्म (Student) M.B.B.S के फ़ाइनल इम्तिह़ान का रिज़ल्ट हाथ में आने से पहले ही क़ब्र में जा पहुंचा ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ग़फ़्लत की नींद से बेदार हो जाइये, फ़िक्रे आख़िरत पैदा कीजिये और मरने से पहले पहले मौत की तय्यारी कर लीजिये । अगर हम फ़िक्रे आख़िरत से ग़ाफ़िल रहते हुवे यूंही दुन्या की रौनक़ों में बद मस्त रहे और अचानक किसी ख़त़रनाक बीमारी या ह़ादिसे का शिकार हो जाएं या अचानक ही हमारी सांसें रुक गईं और हम मौत के घाट उतर गए, तो फिर सिवाए पछताने के कुछ हाथ नहीं आएगा, अपने दिलो