Fikr-e-Akhirat

Book Name:Fikr-e-Akhirat

बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा ।٭  इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! यक़ीनन येह दुन्या अ़मल की जगह है और आख़िरत बदले का दिन, यहां जो जैसा अ़मल करेगा, आख़िरत में वैसा ही बदला उसे मिलेगा, यक़ीनन सआ़दत मन्द हैं वोह लोग जो दुन्या में रह कर आख़िरत की तय्यारी में मसरूफ़ रहते हैं और आख़िरत के लिये नेक आमाल का तोह़फ़ा ले कर जाते हैं । आइये ! आज के इस हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में हम फ़िक्रे आख़िरत के तअ़ल्लुक़ से नसीह़त व इ़ब्रत से मामूर वाक़िआ़त, बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के फ़िक्र को बेदार करने वाले इरशादात सुनते हैं । आइये ! पहले एक ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़ सुनते हैं । चुनान्चे,

फ़िक्रे आख़िरत के लिये कोई नहीं रोता

          मक्तबतुल मदीना की किताब "उ़यूनुल ह़िकायात" ह़िस्सा अव्वल, सफ़ह़ा नम्बर 137 पर लिखा है, ह़ज़रते यज़ीद बिन सल्त رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : एक मरतबा मैं अपने एक आ़बिदो ज़ाहिद दोस्त से मिलने बसरा गया, जब मैं उन के घर पहुंचा, तो देखा कि उन की ह़ालत बहुत नाज़ुक है और शिद्दते मरज़ से मरने के क़रीब हैं, उन के बच्चे, ज़ौजा और मां-बाप आस पास खड़े रो रहे हैं और सब के चेहरों पर मायूसी ज़ाहिर है । मैं ने जा कर सलाम किया और पूछा : आप इस वक़्त क्या मह़सूस कर रहे हैं ? येह सुन कर मेरे वोह दोस्त कहने लगे : मैं इस वक़्त ऐसा मह़सूस कर रहा हूं जैसे मेरे जिस्म के अन्दर च्यूंटियां घूम फिर रही हों । इतनी देर में उन के वालिद रोने लगे, तो मेरे दोस्त ने पूछा : ऐ मेरे मेहरबान बाप ! आप को किस चीज़ ने रुलाया ? कहने लगे : मेरे लाल ! तेरी जुदाई का ग़म मुझे रुला रहा है, तेरे मरने के बाद हमारा क्या बनेगा ? फिर उन की मां, बच्चे और ज़ौजा भी रोने लगे । मेरे दोस्त ने अपनी वालिदा से पूछा : ऐ मेरी मेहरबान मां ! तुम क्यूं रो रही हो ? मां ने जवाब दिया : मेरे जिगर के टुक्ड़े ! मुझे तेरी जुदाई का ग़म रुला रहा है, मैं तेरे बिग़ैर कैसे रह पाऊंगी ? फिर अपनी बीवी से पूछा : तुम्हें किस चीज़ ने रोने पर मजबूर किया ? उस ने भी कहा : मेरे सरताज ! आप के बिग़ैर हमारी ज़िन्दगी दुशवार हो जाएगी, जुदाई का ग़म मेरे दिल को घाइल कर रहा है, आप के बाद मेरा क्या बनेगा ? फिर अपने रोते हुवे बच्चों को क़रीब बुलाया और पूछा : मेरे बच्चो ! तुम्हें किस चीज़ ने रुलाया है ? बच्चे कहने लगे : आप के विसाल के बाद हम यतीम हो जाएंगे, हमारे सर से बाप का साया उठ जाएगा, आप के बाद हमारा क्या बनेगा ? आप की जुदाई का ग़म हमें रुला रहा है । उन सब की येह बातें सुन कर मेरे दोस्त ने कहा : मुझे बिठा दो । जब उन्हें बिठा दिया गया, तो घर वालों से कहने लगे : तुम सब दुन्या के लिये रो रहे हो, तुम में से हर शख़्स मेरे लिये नहीं बल्कि अपना फ़ाइदा ख़त्म हो जाने के ख़ौफ़ से रो रहा है, क्या तुम में से कोई ऐसा भी है