Narmi Kaisy Paida Karain

Book Name:Narmi Kaisy Paida Karain

नर्मी की अहम्मिय्यत

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! जिस त़रह़ सोना नर्म हो कर ज़ेवर बनता है, लोहा नर्म हो कर हथयार बन जाता है और मिट्टी नर्म हो कर खेतों की हरयाली का सबब बनती है । इसी त़रह़ इस्लामी तालीमात के मुत़ाबिक़ की जाने वाली "नर्मी" ऐसी ख़ूबी है जिस की वज्ह से इन्सान के अन्दर रह़मत, शफ़्क़त, आसानी, मुआ़फ़ी और बरदाश्त जैसी अच्छी ख़ूबियां पैदा हो जाती हैं । आइये ! तरग़ीब के लिये नर्मी के फ़ज़ाइल पर मुश्तमिल 3 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिये । चुनान्चे,

1.      इरशाद फ़रमाया : ऐ आ़इशा (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا) ! अल्लाह पाक रफ़ीक़ है और रिफ़्क़ यानी नर्मी को पसन्द फ़रमाता है, अल्लाह पाक नर्मी की वज्ह से वोह चीज़ें अ़त़ा करता है जो सख़्ती या किसी और वज्ह से अ़त़ा नहीं फ़रमाता । (مسلم، کتاب البر والصلۃ والآداب، باب فضل الرفق، ص۱۰۷۲، حدیث:۶۶۰۱)

1.      इरशाद फ़रमाया : नर्मी जिस चीज़ में भी होती है, वोह उसे ख़ूब सूरत बना देती है और जिस चीज़ से नर्मी निकाल दी जाती है, उसे बद सूरत कर देती है । (مسلم، کتاب البر والصلۃ والآداب، باب فضل الرفق، ص ۱۰۷۳، حدیث:۶۶۰۲)

2.      इरशाद फ़रमाया : मोमिन आसानी करने वाला, नर्म होता है, जैसे नकेल वाला ऊंट कि खींचा जाए, तो खिंच जाता है और चट्टान पर बिठाया जाए, तो बैठ जाए । (مشکاۃالمصابیح،کتاب الآداب،باب الرفق والحیاء...إلخ،۳/۲۳۰، حدیث:۵۰۸۶)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि नर्मी की किस क़दर अहम्मिय्यत है । नर्मी अल्लाह पाक को बेह़द पसन्द है, जिस चीज़ में नर्मी होती है, उसे ज़ीनत देती है जब कि जो इस्लामी बहन नर्मी जैसी प्यारी ख़ूबी से मह़रूम होती है, वोह हर वक़्त ग़ुस्से में भरी रहती है, बात बात पर दूसरों को झिड़कती है, ग़लत़ी करने वाली को सब के सामने ज़लीलो रुस्वा करती है । अब