Book Name:Narmi Kaisy Paida Karain
इजलासों के निकात । ٭ ख़ैर ख़्वाह के 19 निकात । ٭ हफ़्तावार इजतिमाअ़ से मुतअ़ल्लिक़ एह़तियात़ों और मुफ़ीद मालूमात पर मुश्तमिल सुवाल व जवाब । ٭ हफ़्तावार इजतिमाअ़ की शरई़ व तन्ज़ीमी एह़तियात़ें वग़ैरा ।
आइये ! तरग़ीब के लिये हफ़्तावार इजतिमाअ़ में शिर्कत की बरकत से आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता होने वाले एक आ़शिके़ रसूल की मदनी बहार सुनते हैं । चुनान्चे,
इसी माह़ोल ने अदना को आला कर दिया देखो !
मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के एक इस्लामी भाई की ज़िन्दगी ग़फ़्लत में गुज़र रही थी, इसी दौरान उन्हें आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी से वाबस्ता एक आ़शिके़ रसूल की सोह़बत मिली, उन की इनफ़िरादी कोशिश ने उन्हें दावते इस्लामी के क़रीब कर दिया और वोह मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो गए । जब पहली बार हफ़्तावार इजतिमाअ़ में शरीक हुवे, तो अव्वल ता आख़िर बयान सुनने की सआ़दत ह़ासिल की । येह सब कुछ बहुत अच्छा लगा लेकिन जब इजतिमाअ़ में शरीक इस्लामी भाई एक आवाज़ में ज़िक्रुल्लाह में मसरूफ़ हुवे, तो बे इख़्तियार हंसी आ गई कि येह लोग क्या पागलों की त़रह़ शुरूअ़ हो गए हैं ! (अल्लाह पाक की पनाह) । इसी त़रह़ के वस्वसों में मश्ग़ूल थे कि रूह़ानिय्यत का एक ऐसा झोंका आया कि वोह भी ज़िक्रुल्लाह करने लग गए । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इस ज़िक्रो दुआ़ की बरकत से त़बीअ़त में सन्जीदगी पैदा हो गई और पिछले गुनाहों से तौबा कर के नेकियों के रास्ते पर आ गए । चेहरे पर दाढ़ी मुबारक और सर पर इ़मामा शरीफ़ का ताज सजा लिया । उन के वालिदे मोह़तरम ने भी दाढ़ी शरीफ़ सजा ली है और तमाम घर वाले सिलसिलए क़ादिरिय्या, अ़त़्त़ारिय्या में दाख़िल हो चुके हैं ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी दुन्या भर में कमो बेश 107 शोबाजात में नेकी की दावत की धूमें मचा रही है, इन्ही में से एक शोबा "मजलिसे हफ़्तावार इजतिमाअ़" भी है । मजलिसे हफ़्तावार इजतिमाअ़ उ़मूमन 3 से 5 अरकान पर मुश्तमिल होती है । क़ारी व नात ख़्वां और मुबल्लिग़ का शिड्यूल बनाना, तिलावत व नात और बयान की पर्चियां बना कर मुतअ़ल्लिक़ा ज़िम्मेदार को कम अज़ कम 7 दिन पहले बताना, स्पीकर, लाइट्स का मुनासिब इन्तिज़ाम करना, वुज़ू ख़ाना व इस्तिन्जा ख़ानों पर पानी वग़ैरा का इन्तिज़ाम करना, इजतिमाअ़ गाह और मस्जिद की सफ़ाई का ख़याल रखना, क़ालीन, दरयां और चटाइयां बिछाना, इजतिमाअ़ के इख़्तिताम पर उठाना, स्टॉल्ज़, वुज़ू ख़ाने और मस्जिद की छत पर गुफ़्तगू में मसरूफ़ इस्लामी भाइयों को नर्मी व शफ़्क़त से सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शिर्कत करवाना, ज़रूरत के मुत़ाबिक़ मुनासिब मक़ामात पर पानी की सबील लगाना, स्टॉल्ज़ पर मक्तबतुल मदीना के कुतुबो रसाइल की