Narmi Kaisy Paida Karain

Book Name:Narmi Kaisy Paida Karain

फ़राहमी और ग़ैर शरई़ व ग़ैर अख़्लाक़ी लिट्रेचर और ग़ैर मेयारी खाने, पीने की चीज़ों की फ़रोख़्त पर नज़र रखना, इजतिमाअ़ में आने वाले इस्लामी भाइयों की गाड़ियों के लिये पार्किंग का इन्तिज़ाम करना, जूते रखने के लिये चौकियां बना कर तरतीब से जूते रखना, हर बस्ते की जगह मख़्सूस करना बल्कि मुमकिना सूरत में पेनाफ़्लेक्स बेनर या बोर्ड लगाना वग़ैरा इस मजलिस की ज़िम्मेदारियों में शामिल है । अल्लाह करीम "मजलिसे हफ़्तावार इजतिमाअ़" को मज़ीद तरक़्क़ियां अ़त़ा फ़रमाए ।

اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम नर्मी पैदा करने के बारे में सुन रहे थे । याद रखिये ! अगर हम अपने घर में मदनी माह़ोल क़ाइम करना चाहते हैं, तो हमें अपने अन्दर नर्मी पैदा करनी होगी, वालिद और वालिदा को नेकी की दावत देनी है, तो अपने अन्दर नर्मी पैदा करनी होगी, बहन, बेटी को बा पर्दा बनाना है, तो अपने अन्दर नर्मी पैदा करनी होगी, अपने बेटे को नमाज़ी बनाना है, तो अपने अन्दर नर्मी पैदा करनी होगी, दोस्तों को बुरे आमाल से बचाना है, तो अपने अन्दर नर्मी पैदा करनी होगी, अपने ऑफ़िस वालों को सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में लाना है, तो अपने अन्दर नर्मी पैदा करनी होगी, अपने मातह़्तों को अपना बनाना है, तो अपने अन्दर नर्मी पैदा करनी होगी, क़ाफ़िले, 72 नेक काम, मद्रसतुल मदीना बालिग़ान और दीगर मदनी कामों के लिये इस्लामी भाइयों का ज़ेहन बनाना है, तो अपने अन्दर नर्मी पैदा करनी होगी । ऐ अल्लाह पाक ! तेरे मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मुस्कुराहट का सदक़ा हमें नर्मी अ़त़ा फ़रमा दे । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! येह बात ज़ेहन नशीन रहे ! जो लोग सख़्त मिज़ाज होते हैं, लोग उन के क़रीब आने और उन से बात करने से कतराते हैं, ऐसे सख़्त मिज़ाज अफ़राद को मुआ़शरे में इ़ज़्ज़त की निगाह से नहीं देखा जाता, उन की पीठ पीछे कुछ इस त़रह़ की बातें कहीं जाती हैं, मसलन "भई फ़ुलां से बच कर रहना, बड़ा सख़्त मिज़ाज है" "छोटी छोटी बातों पर सब के सामने ज़लील कर देता है" "हर वक़्त ग़ुस्से से मुंह फुलाए रहता है" "उस के रोब (Fear) की वज्ह से उस के घर वाले भी उस से नाराज़ रहते हैं" वग़ैरा ।

          ज़रा ग़ौर कीजिये ! कहीं हमारे बारे में भी लोगों के येह तअस्सुरात तो नहीं ? कहीं हम भी लोगों पर बिला वज्ह सख़्ती कर के ख़ुद से बद ज़न तो नहीं कर रहे ? कहीं हमारे बच्चे भी हमारी शफ़्क़त व मह़ब्बत से मह़रूम तो नहीं रह गए ? अगर ऐसा है, तो अभी से अपने मिज़ाज में नर्मी पैदा करने की कोशिश कीजिये कि जिस का दिल नर्म होता है, उस की इ़ज़्ज़त में इज़ाफ़ा होता है । चुनान्चे,