Faizan e Sahaba O Ahle Bait

Book Name:Faizan e Sahaba O Ahle Bait

اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ وَالصَّلٰوۃُ وَالسَّلَامُ عَلٰی سَیِّدِ الْمُرْسَلِیْنط

اَمَّا بَعْدُ! فَاَعُوْذُ بِاللّٰہِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْم ط بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْم ط

اَلصَّلٰوۃُ وَ السَّلَامُ عَلَیْكَ یَا رَسُولَ اللہ                                                         وَعَلٰی اٰلِكَ وَ اَصْحٰبِكَ یَا حَبِیْبَ اللہ

اَلصَّلٰوۃُ وَ السَّلَامُ عَلَیْكَ یَا نَبِیَّ اللہ                                                                                وَعَلٰی اٰلِكَ وَ اَصْحٰبِكَ یَا نُوْرَ اللہ

दुरूदे पाक की फ़ज़ीलत

          रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का फ़रमाने आ़लीशान है : حَيْثُ مَا كُنْتُمْ فَصَلُّوْا عَلَيَّ فَاِنَّ صَلَاتَكُمْ تَبْلُغُنِيْ तुम जहां भी रहो, मुझ पर दुरूदे पाक पढ़ा करो क्यूंकि तुम्हारा दुरूद मुझ तक पहुंच जाता है । (معجمِ کبیر،۸۲/۳،رقم:۲۷۲۹)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइये ! अल्लाह पाक की रिज़ा पाने और सवाब कमाने के लिये पहले अच्छी अच्छी निय्यतें कर लेते हैं :

        फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : "نِیَّۃُ الْمُؤمِنِ خَیْرٌ مِّنْ عَمَلِہٖ" मुसलमान की निय्यत उस के अ़मल से बेहतर है । (معجم کبیر،۶/۱۸۵،حدیث:۵۹۴۲) नेक और जाइज़ काम में जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा ।

बयान सुनने की निय्यतें

  मौक़अ़ की मुनासबत और नौइ़य्यत के ए'तिबार से निय्यतों में कमी बेशी व तब्दीली की जा सकती है । ٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगी । ٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम की ख़ात़िर जहां तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगी । ٭ ज़रूरतन सिमट सरक कर दूसरी इस्लामी बहनों के लिये जगह कुशादा करूंगी । ٭ धक्का वग़ैरा लगा, तो सब्र करूंगी, घूरने, झिड़कने और उलझने से बचूंगी । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ  صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ،  वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वाली की दिलजूई के लिये पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी । ٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॉर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! اِنْ شَآءَ اللّٰہ ! आज के बयान में सह़ाबए किराम और अहले बैते इ़ज़्ज़ाम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم के मक़ामो मर्तबे और उन की शानो अ़ज़मत सुनने की सआ़दत ह़ासिल करेंगी ।

शाने सह़ाबा और क़ुरआनो ह़दीस

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! वाके़ई़ सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم की शान ऐसी बे मिसाल है कि कोई भी उन के मक़ामो मर्तबे को नहीं पहुंच सकता । ٭ येह वोह मुबारक