Book Name:Faizan e Sahaba O Ahle Bait
अहले बैत رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم की मह़ब्बत से हमारे दिलों को आबाद फ़रमाए और मरते दम तक हम इसी मह़ब्बत पर क़ाइम रहें और क़ियामत में रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की शफ़ाअ़त से भी फै़ज़याब हों और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के हाथों से आबे कौसर के जाम भी पियें । اِنْ شَآءَ اللّٰہ
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ह़ौज़े कौसर क्या है ? इस बारे में ह़ज़रते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद अमजद अली आज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ लिखते हैं : येह ह़ौज़ नबिय्ये (करीम) صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को मर्ह़मत (इ़नायत) हुवा, ह़क़ है । इस ह़ौज़ की मसाफ़त (दूरी) एक महीना की राह है । इस के किनारों पर मोती के क़ुब्बे (गुम्बद) हैं, चारों गोशे (किनारे) बराबर हैं, इस की मिट्टी निहायत ख़ुश्बूदार मुश्क की है, इस का पानी दूध से ज़ियादा सफे़द, शहद से ज़ियादा मीठा और मुश्क से ज़ियादा पाकीज़ा है और इस पर (रखे हुवे) बरतन सितारों से भी गिन्ती में ज़ियादा हैं, जो इस का पानी पियेगा, कभी प्यासा न होगा, इस में जन्नत से दो परनाले (Channels) हर वक़्त गिरते हैं, एक सोने का, दूसरा चांदी का है । (बहारे शरीअ़त, 1 / 145)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم का इ़श्के़ रसूल
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इस बात में कोई शको शुबा नहीं कि सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم, नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सच्चे और सब से बड़े आ़शिक़ थे । आज हम भी येह दावा करती हैं कि हमें रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से इ़श्क़ है मगर इ़श्क़ के तक़ाज़े पूरे नहीं करतीं जब कि सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم वोह अ़ज़ीम हस्तियां हैं, जिन्हों ने अपने किरदार से येह साबित कर के बता दिया कि इ़श्के़ रसूल ही दीने ह़क़ की शर्त़े अव्वल है, गोया उन्हों ने इ़श्के़ ह़बीब को अपना ओढ़ना बिछौना बना लिया । येही वज्ह है कि आज कई सदियां गुज़र जाने के बा वुजूद भी येह ह़ज़रात आ़शिक़ाने रसूल के दिलों की धड़कन हैं । उ़मूमन बाज़ मरीज़ों को डॉक्टर मख़्सूस (Specified) दवाएं खाने का कहते हैं, मरीज़ अगर वोह दवाएं खाएं, तो ठीक रहते हैं और न खाएं, तो उन की ह़ालत बिगड़ती चली जाती है, इसी त़रह़ सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم का ह़ाल था कि येह इ़श्के़ रसूल के मुक़द्दस मरीज़ थे, इन के लिये दीदारे मुस्त़फ़ा, सोह़बते मुस्त़फ़ा, इत़ाअ़ते मुस्त़फ़ा और इत्तिबाए़ मुस्त़फ़ा दवा की सी ह़ैसिय्यत रखते थे, जिस के बिग़ैर इन का जीना दुशवार था । प्यारे नबी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के येह सच्चे जां निसार अपने करीम आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की एक एक अदा को नोट करते और फिर उस पर अ़मल करते थे ।
रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का अपने अहले बैत رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم से प्यार और उल्फ़त का बरताव येह ऐसा मुआ़मला था जो सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم से छुपा न था । सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم अच्छी त़रह़ जानते थे कि नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ अपने अहले