Book Name:Dukhyari Ummat Ki Khairkhuwahi
v किसी बीमार की इ़यादत करना ख़ैर ख़्वाही है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : जिस ने मरीज़ की इ़यादत की, जब तक वोह बैठ न जाए, दरयाए रह़मत में ग़ोत़े लगाता रहता है और जब वोह बैठ जाता है, तो रह़मत में डूब जाता है । (مسند امام احمد،مسند جابربن عبداللہ،۵/۳۰،رقم: ۱۴۲۶۴)
v मुसलमान की तक्लीफ़ दूर करना ख़ैर ख़्वाही है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : जो किसी मुसलमान की तक्लीफ़ दूर करे, अल्लाह पाक क़ियामत की तक्लीफ़ों में से उस की तक्लीफ़ दूर फ़रमाएगा । (مُسلِم ،کتاب البر والصلۃ ۔۔الخ ،ص۱۰۶۹،حدیث:۶۵۷۸)
v मुसलमान की इ़ज़्ज़त की ह़िफ़ाज़त करना ख़ैर ख़्वाही है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : जो मुसलमान अपने भाई की इ़ज़्ज़त (ख़राब करने) से रोके (यानी किसी मुसलमान की बे इ़ज़्ज़ती होती थी, उस ने मन्अ़ किया), तो अल्लाह पाक पर ह़क़ है कि क़ियामत के दिन उस को दोज़ख़ की आग से बचाए । (شرحُ السنّۃ ،۶ /۴۹۴ ،حدیث: ۳۴۲۲)
v मुसलमान का दिल ख़ुश करना ख़ैर ख़्वाही है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : फ़राइज़ के बाद सब आमाल में अल्लाह पाक को ज़ियादा प्यारा मुसलमान का दिल ख़ुश करना है । (مُعْجَم کَبِیْر،۱۱ / ۵۹،حدیث: ۱۱۰۷۹)
v मुआ़फ़ करना ख़ैर ख़्वाही है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : अल्लाह पाक बन्दे के मुआ़फ़ करने की वज्ह से उस की इ़ज़्ज़त में इज़ाफ़ा फ़रमा देता है और जो शख़्स अल्लाह पाक के लिये आ़जिज़ी इख़्तियार करता है, अल्लाह पाक उसे बुलन्दी अ़त़ा फ़रमाता है । (مسلم،کتاب البر،باب استحباب العفو والتواضع،ص ۱۰۷۱،حدیث: ۶۵۹۲)
v नेकी की दावत देना और बुराई से मन्अ़ करना ख़ैर ख़्वाही है । ह़ज़रते काबुल अह़बार رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : जन्नतुल फ़िरदौस ख़ास उस के लिये सजाई जाती है जो नेकी का ह़ुक्म करे और बुराई से रोके । (تنبیہ المغترین،ص۲۳۶)
v ग़रीब मुसलमानों की मदद करना भी ख़ैर ख़्वाही है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : जिस ने मुसलमान भाई की ह़ाजत पूरी की, वोह ऐसा है जैसे उस ने सारी उ़म्र अल्लाह पाक की इ़बादत की । (کنزالعمال،کتاب الزکوٰۃ،باب قضاء الحوائج ۔۔۔الخ،۶/۱۸۹،حدیث:۱۶۴۵۳)
v इ़ल्मे दीन सीखने, सिखाने के लिये क़ाफ़िलों में चलना ख़ैर ख़्वाही है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : जो अल्लाह पाक के लिये इ़ल्म सीखने निकलता है, अल्लाह पाक उस के लिये जन्नत का दरवाज़ा खोल देता है और फ़िरिश्ते उस के लिये अपने बाज़ू बिछा देते हैं । (شعب الایمان،باب فی طلب العلم،۲/ ۲۶۳،حدیث:۱۶۹۹)
v मज़्लूम की मदद करना ख़ैर ख़्वाही है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : जिस ने ग़म में मुब्तला किसी मोमिन की मुश्किल दूर की या किसी मज़्लूम की मदद की, तो अल्लाह पाक उस शख़्स के लिये 73 मग़फ़िरतें लिख देता है । (شعب الايمان للبيهقی،باب فی التعاون علی البرو التقوی،۱۲۰/۶،حديث:۷۶۷۰ بتغير)