Ilm-e-Deen Kay Fazail

Book Name:Ilm-e-Deen Kay Fazail

जहालत के अन्धेरे दूर होंगे, वहीं आप के लिये भी सदक़ए जारिया का सिलसिला हो जाएगा । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

मजलिसे नशरो इशाअ़त

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी इ़ल्मे दीन फैलाने और उम्मते मह़बूब की ख़ैर ख़्वाही का जज़्बा लिये ख़िदमते दीन के कमो बेश 107 शो'बाजात में मसरूफे़ अ़मल है, जिन में से एक "मजलिसे नशरो इशाअ़त" भी है । इस शो'बे का क़ियाम 7 रबीउ़ल अव्वल सिने 1427 हि., ब मुत़ाबिक़ 6 मई 2006 ई़. में अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और दा'वते इस्लामी की मर्कज़ी मजलिसे शूरा की ख़ुसूसी इजाज़त से हुवा । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इस शो'बे ने हज़ारों किताबें उ़लमाए किराम, पीराने त़रीक़त, प्रोफे़सर्ज़, जामिआ़त और लाइब्रेरीज़ तक पहुंचाने की सआ़दत ह़ासिल की है । माहनामों के ऐडीटर्ज़ और दीगर उ़लमाए किराम से रवाबित़ को मज़बूत़ रखते हुवे उन्हें अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और अल मदीनतुल इ़ल्मिय्या की शाएअ़ होने वाली कुतुब और माहानामा फै़ज़ाने मदीना रवाना किये हैं । अल्लाह करीम "मजलिसे नशरो इशाअ़त" को मज़ीद तरक़्क़ियां अ़त़ा फ़रमाए ।

آمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

इ़ल्म सीखने वाले के लिये मदनी फूल

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइये ! इ़ल्म सीखने वाले के बारे में चन्द मदनी फूल सुनने की सआ़दत ह़ासिल करते हैं । पहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये :

1.      फ़रमाया : जो आदमी इ़ल्म की तलाश करने के लिये किसी रास्ते पर चले, अल्लाह पाक उस के लिये जन्नत का रास्ता आसान फ़रमा देता है । (مسلم،کتاب الذکر والدعاء،باب فضل الاجتماع… الخ،ص۱۱۱۰،حدیث:۶۸۵۳)

2.      फ़रमाया : जो शख़्स इ़ल्म की त़लब में घर से निकलता है, फ़िरिश्ते उस के इस अ़मल से ख़ुश हो कर उस के लिये अपने पर बिछा देते हैं । (طبرانی کبیر ،۸/۵۵،حدیث:۷۳۵۰)

٭ इ़ल्म ह़ासिल करने के लिये सफ़र करना बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की सुन्नत है । (40 फ़रामीने मुस्त़फ़ा, स. 23) ٭ इ़ल्म ह़ासिल करने के लिये सुवाल करना यक़ीनन बाइ़से फ़ज़ीलत है लेकिन सुवाल करने के आदाब का लिह़ाज़ करना भी ज़रूरी है । (फै़ज़ाने दाता अ़ली हजवेरी, स. 13) ٭ इ़ल्म ख़ज़ाना है और सुवाल करना इस की चाबी है । (فردوس الاخبار،۲ /۸۰، حدیث:۴۰۱۱) ٭ इ़ल्म सीखने के लिये सुवाल पूछने से शर्माना नहीं चाहिये । ('राबी के सुवालात और अ़रबी आक़ा के जवाबात, स. 8) ٭ ख़ुशामद करना मोमिन के अख़्लाक़ में से नहीं है मगर इ़ल्म ह़ासिल करने के लिये ख़ुशामद कर सकता है । (شعب الایمان ،باب فی حفظ اللسان،۴/۲۲۴ ، حدیث: ۴۸۶۳) ٭ ऐसे