Book Name:Tilawat-e-Quran Aur Musalman
तिलावते क़ुरआन का ह़ुक्म और क़ुरआने मजीद के तक़ाज़े
ऐ आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! जिस त़रह़ हमें क़ुरआने पाक की तिलावत करने का ह़ुक्म दिया गया और तरग़ीब के लिये अह़ादीसे मुबारका में इस के कसीर फ़ज़ाइल बयान किये गए हैं, इसी त़रह़ हमें इस के अह़कामात पर अ़मल करने का भी ह़ुक्म दिया गया है । जो लोग क़ुरआने पाक में बयान कर्दा अह़कामात पर अ़मल नहीं करते उन के लिये अ़ज़ाबात की सख़्त वई़दें भी आई हैं । हमें चाहिये कि क़ुरआने पाक की तिलावत के साथ साथ तर्जमए क़ुरआन, कन्ज़ुल ईमान और इस के साथ तफ़्सीर सिरात़ुल जिनान / ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान या नूरुल इ़रफ़ान का मुत़ालआ़ (Study) भी करें क्यूंकि क़ुरआने करीम में ग़ौरो फ़िक्र करना और उसे समझना आ'ला दरजे की इ़बादत है । जैसा कि :
ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : एक आयत समझ कर और ग़ौरो फ़िक्र कर के पढ़ना, बिग़ैर ग़ौरो फ़िक्र किये पूरा क़ुरआन पढ़ने से बेहतर है । (احیاء العلوم، کتاب التفکر،بیان مجاری الفکر،۵/ ۱۷۰)
बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن से मन्क़ूल है : बा'ज़ अवक़ात बन्दा एक सूरत शुरूअ़ करता है, तो उसे पूरी पढ़ लेने तक फ़िरिश्ते उस के लिये रह़मत की दुआ़ करते हैं । कभी बन्दा एक सूरत शुरूअ़ करता है, तो उसे पूरी पढ़ लेने तक फ़िरिश्ते उस पर ला'नत भेजते हैं । अ़र्ज़ की गई : येह कैसे ? फ़रमाया : जब वोह उस के ह़लाल को ह़लाल और ह़राम को ह़राम जानता है, तो फ़िरिश्ते उस के लिये रह़मत की दुआ़ करते हैं, वरना ला'नत भेजते हैं । (احیاء العلوم،کتاب آداب تلاوۃ القرآن،۱/۳۶۵)
अल्लाह पाक हमें क़ुरआने करीम के अह़काम पर अ़मल करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए, हमें क़ब्रो ह़श्र के अ़ज़ाब से मह़फ़ूज़ रखे, दीनो दुन्या में आ़फ़िय्यत और करम वाला मुआ़मला फ़रमाए, क़ुरआने करीम को हमारे लिये ज़रीअ़ए नजात बनाए और इस की बरकत से हमें अपनी रिज़ा अ़त़ा फ़रमाए । آمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! क़ुरआने पाक को बेहतर त़रीके़ से समझने, उस के अह़कामात के बारे में जानने के लिये तफ़्सीर "सिरात़ुल जिनान" से रोज़ाना तर्जमा व तफ़्सीर सुनने या सुनाने या फिर इनफ़िरादी त़ौर पर पढ़ने की आ़दत बनाइये और सवाब का ढेरों ख़ज़ाना समेटिये । आइये ! तफ़्सीर "सिरात़ुल जिनान" की चन्द ख़ुसूसिय्यात (Qualities) सुनती हैं ।
"तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान" का तआ़रुफ़
(1) तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान में हर आयत के 2 तर्जमे दिये गए हैं, एक आ'ला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के कन्ज़ुल ईमान से, दूसरा तर्जमा आसान उर्दू में कन्ज़ुल इ़रफ़ान के नाम से मौजूद है । (2) तफ़्सीरे